गरीब कोविड-19 रोगियों के लिए वरदान साबित हुए कम लागत वाले उपचार केंद्र

Edited By Anil dev,Updated: 26 Oct, 2020 01:28 PM

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अपने कैम्पेन हिम्मत है तो जीत है के साथ पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) देश भर के कोरोना वॉरियर्स की प्रेरणादायक वास्तविक कहानियों को सेलिब्रेट कर रहा है जिन्होंने हर मुश्किल के बावजूद लोगों की मदद करना जारी रखा है। ऐसी ही एक कहानी है अहमदाबाद...

नई दिल्ली: अपने कैम्पेन हिम्मत है तो जीत है के साथ पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) देश भर के कोरोना वॉरियर्स की प्रेरणादायक वास्तविक कहानियों को सेलिब्रेट कर रहा है जिन्होंने हर मुश्किल के बावजूद लोगों की मदद करना जारी रखा है। ऐसी ही एक कहानी है अहमदाबाद स्थित अनंत नेशनल यूनिवर्सिटी की जिसने देश भर में कोविड-19 से निपटने के लिए कम लागत वाली रिकवरी सुविधाएं स्थापित करने के लिए केरल सरकार और पार्लियामेंटेरियन्स विथ इनोवेटर्स फ़ॉर इंडिया के साथ हाथ मिलाया। (पीआईआई - शिक्षाविदों, थिंक टैंक्स, उद्यमियों, इनोवेटर्स, नीति नियन्ताओ और सांसदों का एक नेशनल एक्शन ग्रुप है)। 



अनंत नेशनल यूनिवर्सिटी ने ऐसा किया अपने इन-हाउस डिजाइनर्स, अर्बन प्लानिंग इनोवेटर्स, फैकल्टीज और छात्रों को इसके लिए तैयार करके और उन्हें एक साथ लाकर, जिन्होंने बेहद कारगर सोलुशंस उपलब्ध कराए। खासकर उन लोगों के लिए जिनकी महंगी चिकित्सा सेवा तक कोई पहुंच नहीं है। इस तरह अनंत कोविड-19 रिकवरी फेसिलिटीज का प्लग-एंड-प्ले टेम्पलेट सामने आया, जो विश्वविद्यालय-सरकार-निजी क्षेत्र की साझेदारी के आधार पर बेहद स्थानीय और स्केलेबल मॉडल था। सस्टेनेबल लैब्स की डॉ. मिनिया चटर्जी लीलारामानी कहती हैं, जब इस वैश्विक महामारी ने भारत में दस्तक़ दी, मुझे पता था कि अपने देश में जहां हर 6 शहरी निवासियों में से 1 झुग्गी-झोपड़ी में रहता है, वहां सामाजिक दूरी का कॉन्सेप्ट काम नहीं करेगा। और यही तबका हमारे समाज की सबसे कमजोर कड़ी साबित होगा व सबसे बड़ा खामियाजा उसे ही भुगतना पड़ेगा। मैं चाहती थी कि जो भी मेरे बस में है उससे मैं अधिक से अधिक जिन्दगियां बचा सकूं। तब मुझे ये विचार आया कि सबसे गरीब लोगों के बीच मृत्यु दर को कम करने के लिए अत्यधिक स्केलेबल और किफायती सोल्यूशंस मुहैया कराने के लिए मैं पार्लियामेंटेरियन्स विथ इनोवेटर्स ऑफ इंडिया, पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया, अनंत नेशनल यूनिवर्सिटी, सस्टेनेबल लैब्स और हैबिटेट फॉर ह्यूमैनिटी को एक साथ ला सकती हूं। 

हमने पूरे भारत मे खाली पड़ी इमारतों में बड़े कोविड अस्पताल बनाने शुरू कर दिए। हम कार्डबोर्ड से अस्पताल के बेड्स तैयार करने के नए विचार के साथ आए, जिससे विनिर्माण लागत सिर्फ 6000 रुपये प्रति बिस्तर तक कम हो गई। आज हमने 5 राज्यों में 10 बड़े कोविड अस्पताल स्थापित किए हैं और हजारों लोग स्वस्थ्य होकर घर लौट चुके हैं। हम सभी को, विशेष रूप से सबसे गरीब लोगों को जीवित रहने का एक बराबर मौका देना चाहते थे। मैं भी हिम्मत है तो जीत है के मंत्र में यकीन करती हूं। जहां हिम्मत है, वहां जीत है। ये रिकवरी फेसिलिटीज कोविड-19 के मॉडरेटर और माइल्ड केस के लिए तैयार की गई हैं, जिन्हें बनाने करने में सिर्फ 6-7 दिन लगते हैं, और इसका खर्च पारंपरिक रिकवरी फेसिलिटीज कॉस्ट की तुलना में मुश्किल से एक-दसवां हिस्सा आता है।

हिम्मत है तो जीत हैज् कैम्पेन पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) द्वारा देश में जारी महामारी के बीच की देशवासियों के साहस और उम्मीद की कहानियों को सेलीब्रेट करने के लिए, एक प्रेरणादायी गाने के साथ सितंबर माह में शुरू किया गया था। इस अभियान को प्रसिद्ध फिल्म और थिएटर निर्देशक फिरोज अब्बास खान ने संचालित किया है। फिरोज खान पीएफआई के क्रिएटिव एडवाइजर हैं और उन्होंने अपने फ्लैगशिप ट्रांस-मीडिया एडुटेनमेंट शो मैं कुछ भी कर सकती हूँ का निर्देशन किया है। इस अभियान के माध्यम से, पीएफआई समाज के हर तबके के लोगों मसलन फ्रंटलाइन वर्कर्स से लेकर कोविड-19 सर्वाइवर्स द्वारा दिखाए गए साहस की वास्तविक कहानियों को पेश करना चाहता है।
 

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