कोविड-19 के चलते बीते कुछ महीनों में 31 प्रतिशत किशोरों ने भारी तनाव का सामना किया: सर्वेक्षण

Edited By Anil dev,Updated: 24 Oct, 2020 06:07 PM

corona virus strain survey jharkhand chhattisgarh bihar odisha

कोरोना वायरस महामारी से अपने परिवार की वित्तीय स्थिति प्रभावित होने को लेकर बीते कुछ महीनों में लगभग 31 प्रतिशत किशोरों ने भारी तनाव का सामना किया। झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और ओडिशा के 7,300 से अधिक किशोरों पर किये गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई...

नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी से अपने परिवार की वित्तीय स्थिति प्रभावित होने को लेकर बीते कुछ महीनों में लगभग 31 प्रतिशत किशोरों ने भारी तनाव का सामना किया। झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार और ओडिशा के 7,300 से अधिक किशोरों पर किये गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है। गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर कैटेलाइजिंग चेंज द्वारा अप्रैल, जुलाई और अगस्त में दो चरणों में किये गए इस सर्वेक्षण का शीर्षक किशोरों का क्या कहना है? कोविड-19 और इसके प्रभाव था। सर्वेक्षण में कहा गया है 7,324 किशोरों में से 31 प्रतिशत ने स्वीकार किया है कि वे अपने परिवार की वित्तीय स्थिति पर महामारी के प्रभाव को लेकर भारी तनाव का सामना कर रहे हैं।

PunjabKesari

 सर्वे में यह भी पता चला है कि इन महीनों के दौरान महामारी के चलते किशोरियों को भारी लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ा। सर्वेक्षण के अनुसार, जिन किशोरियों को सर्वेक्षण में शामिल किया गया, उनमें केवल 12 प्रतिशत के पास ही ऑनलाइन कक्षाओं के लिये खुद का मोबाइल फोन था जबकि उनके मुकाबले ऐसे किशोरों की संख्या 35 प्रतिशत थी।'' सर्वेक्षण में कहा गया है, इसके अलावा, सर्वेक्षण में शामिल 51 प्रतिशत किशोरियों के पास जरूरी पुस्तकों का अभाव था। इससे पता चलता है कि महामारी ने किस तरह लड़कियों की शिक्षा को प्रभावित किया।'' सर्वेक्षण के अनुसार 39 प्रतिशत लड़कियों ने घरेलू कामकाज में हाथ बंटाया जबकि ऐसे लड़कों की संख्या 35 प्रतिशत रही। 

PunjabKesari

इसके अलावा सर्वेक्षण में यह भी पता चला है कि इस दौरान लड़कियों के बाहर आने-जाने में भी कमी आई। इस दौरान केवल 39 प्रतिशत लड़कियों को अकेले घर से बाहर निकलने की अनुमति दी गई जबकि उनके मुकाबले लड़कों की संख्या 62 प्रतिशत रही। सर्वेक्षण में कहा गया है, इस दौरान, केवल 36 प्रतिशत किशोरों को हेल्पलाइन नंबरों के बारे में सही जानकारी थी जबकि इन हेल्पलाइनों को इस्तेमाल करने को लेकर उनमें जागरुकता की कमी थी। केवल 18 प्रतिशत को ही पता था कि घरेलू हिंसा की जानकारी देने के लिये हेल्पलाइन नंबरों का इस्तेमाल किया जा सकता है। केवल 22 से 23 प्रतिशत ही यह जानते थे कि बाल श्रम और बच्चों की तस्करी की जानकारी देने के लिये भी इन हेल्पलाइन नंबरों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!