लॉकडाउन में टीचर्स बने ‘कोरोना योद्धा', मनीष सिसोदिया ने भी की तारीफ

Edited By Seema Sharma,Updated: 04 Sep, 2020 04:42 PM

corona warriors became teachers in lockdown

कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद होने की वजह से दिल्ली सरकार के स्कूलों के कई शिक्षक कोरोना योद्धा के तौर पर भी भूमिका निभा रहे हैं। वे ऐसे छात्रों का पता लगाने का भी काम कर रहे हैं जिनसे संपर्क नहीं हो सका है। इसके अलावा वे फोन के जरिये उनके...

नेशनल डेस्क: कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद होने की वजह से दिल्ली सरकार के स्कूलों के कई शिक्षक कोरोना योद्धा के तौर पर भी भूमिका निभा रहे हैं। वे ऐसे छात्रों का पता लगाने का भी काम कर रहे हैं जिनसे संपर्क नहीं हो सका है। इसके अलावा वे फोन के जरिये उनके पड़ोसियों को वर्कशीट भेजने और आइसोलेशन केंद्रों पर लोगों की मदद भी कर रहे हैं। महामारी के इस समय में अपने प्रयासों तथा तय जिम्मेदारियों से आगे बढ़कर काम करने के लिए शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इन शिक्षकों की सराहना की। 

 

पश्चिम विहार में सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाली सरिता रानी भारद्वाज को मार्च में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद अपने छात्रों का पता लगाने में बेहद मुश्किल आई। भारद्वाज ने कहा कि मैंने पहले सभी से कक्षा के वाट्सऐप समूहों पर संपर्क करने की कोशिश की और कई-कई बार सभी विद्यार्थियों को व्यक्तिगत रूप से फोन किया। जब उनमें से कुछ से मेरा संपर्क नहीं हो सका तो मैंने राशन की आपूर्ति करने वाले व्यक्ति से संपर्क किया और उनके पतों पर जाकर देखने को कहा। इस तरह मैं कई अन्य छात्रों से संपर्क कर सकी लेकिन कुछ अब भी रह गए हैं।” उन्होंने कहा कि मैंने राशन की आपूर्ति करने वाले से उन बच्चों के पड़ोसियों के फोन नंबर लेकर आने को कहा। मैंने उनसे बात की और उनके फोन पर वर्कशीट भेजनी शुरू की। जब मुझे पता चला कि कुछ छात्र दूसरे शहरों में चले गए हैं तब मैंने एक कूरियर कंपनी के जरिये उनके नए पतों पर किताबें और अध्ययन सामग्री भेजी।”

 

मंगोलपुरी के सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में सामाजिक विज्ञान के शिक्षक आलोक कुमार मिश्रा ऑनलाइन कक्षाएं लेने के अलावा नरेला के एक पृथकवास केंद्र में भी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आइसोलेशन केंद्र के तौर पर इस्तेमाल किये जा रहे घरों के बाहर मैं एक अस्थायी नियंत्रण कक्ष से काम कर रहा हूं। मैं पृथकवास में रह रहे लोगों के फोन का जवाब देता, उनके प्रश्नों का उत्तर देता हूं और उनकी जरूरतें पूरी करने का प्रयास करता हूं। उन्होंने कहा कि मैं क्रमिक रूप से दिन और रात की पाली में काम करता हूं। इस तरह काम करके मुझे काफी संतोष मिलता है कि मैं लोगों की मदद कर पा रहा हूं। इस दौरान मैं अपने छात्रों को भेजे जाने वाले वीडियो पर भी काम करता हूं।

 

इसी तरह झड़ौदा कलां के सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक राजेंद्र प्रसाद शर्मा भी दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि मैं वीडियो नोट बनाकर उन्हें छात्रों को भेजता हूं। मैं उन्हें वर्कशीट बनाकर भेजता हूं और कोई संशय होने पर वे मुझे फोन कर बात कर लेते हैं। मैं उनके फोन तत्काल उठाने का प्रयास करता हूं क्योंकि कई बार वे अपने पड़ोसी या किसी परिचित के फोन से बात कर रहे होते हैं। मैं पृथकवास केंद्र में भी काम करता हूं।

 

प्रशांत विहार के सर्वोदय कन्या विद्यालय में अंग्रेजी की शिक्षक नीना यह सुनिश्चित करती हैं कि पढ़ाई के साथ-साथ उनकी छात्राएं भावनात्मक कुशलता के लिए भी गतिविधियों में शामिल हों। उन्होंने कहा कि अनिश्चितता के ऐसे वक्त वक्त में अवसाद में चले जाना या दुखी होना आम बात है। मैं सुनिश्चित करती हूं कि कोई भी छात्रा दैनिक गतिविधियों में हिस्सा लेना न छोड़े…। कौटिल्य सर्वोदय बाल विद्यालय में विज्ञान की शिक्षिका रविंदर कौर सरकार द्वारा ऑनलाइन कक्षाओं की घोषणा करने के काफी पहले से ही वीडियो कक्षाएं ले रही थीं।

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