आधार, पैन, वोटर आईडी को सोशल मीडिया अकाउंट से जोड़ने की याचिका पर विचार करने से न्यायालय का इनकार

Edited By Pardeep,Updated: 26 May, 2020 10:19 PM

court refuses to consider plea to link aadhaar voter id to social media account

उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर विचार करने से मंगलवार को इनकार कर दिया, जिसमें उसने सोशल मीडिया अकाउंट को आधार, पैन या मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) कार्ड से जोड़ने का निर्देश ...

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर विचार करने से मंगलवार को इनकार कर दिया, जिसमें उसने सोशल मीडिया अकाउंट को आधार, पैन या मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) कार्ड से जोड़ने का निर्देश देने का अनुरोध खारिज कर दिया गया था। सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट का सफाया करने के लिए यह निर्देश देने का उच्च न्यायालय से अनुरोध किया गया था। 

हालांकि, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने याचिकाकर्ता, वकील एवं भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय को शीर्ष न्यायालय में केंद्र द्वारा दायर की गई (मामलों के) स्थानांतरण याचिका में खुद को पक्षकार बनाने की अनुमति दे दी। वकील ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए दलील दी कि केंद्र ने इससे पहले इस तरह के मामलों को कुछ उच्च न्यायालयों से शीर्ष न्यायालय स्थानांतरित करने की मांग की थी। 

पीठ ने कहा,‘‘हम उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाले आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं देखते हैं। इस तरह, विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है। हालांकि, याचिकाकर्ता (उपाध्याय) को स्थानांतरण मामले में पक्षकार बनाए जाने की अर्जी दायर करने की छूट दी जाती है।'' पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट्ट भी शामिल हैं। 

उल्लेखनीय है कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने (सोशल मीडिया पर) फर्जी अकाउंट का सफाया करने करने के लिये आधार, पैन (आयकर विभाग द्वारा जारी स्थायी खाता संख्या), वोटर आईडी कार्ड को सोशल मीडिया अकाउंट से जोड़े जाने का आदेश देने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि इससे वास्तविक अकाउंट वाले लोगों (जो संख्या में अधिक हैं) के डेटा अनावश्यक रूप से विदेश चले जाएंगे। उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा था कि सोशल मीडिया पर 20 प्रतिशत अकाउंट फर्जी या नकली हैं। उन्होंने याचिका में यह आरोप भी लगाया था कि फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट का इस्तेमाल चुनाव के दौरान फर्जी एवं पेड न्यूज का प्रसार करने के लिए किया जाता है। 
 

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