चिदंबरम की सरेंडर अर्जी पर अदालत ने फैसला रखा सुरक्षित, ईडी ने किया विरोध

Edited By Yaspal,Updated: 12 Sep, 2019 07:48 PM

court reserves judgment on chidambaram s surrender application ed opposes

दिल्ली की एक अदालत ने ईडी द्वारा दर्ज धनशोधन मामले में आत्मसमर्पण के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंरबम की याचिका पर बृहस्पतिवार को अपना आदेश कल तक के लिए सुरक्षित रख लिया। चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले

नई दिल्लीः दिल्ली की एक अदालत ने ईडी द्वारा दर्ज धनशोधन मामले में आत्मसमर्पण के लिए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंरबम की याचिका पर बृहस्पतिवार को अपना आदेश कल तक के लिए सुरक्षित रख लिया। चिदंबरम आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में अभी तिहाड़ जेल में हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विशेष न्यायाधीश अजय कुमार कुहार को बताया कि आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में चिदंबरम की गिरफ्तारी आवश्यक है, लेकिन यह उचित समय पर होगी।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा कि भ्रष्टाचार को लेकर सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में चिदंबरम (73) पहले से न्यायिक हिरासत में हैं और सबूतों से छेड़छाड़ की स्थिति में नहीं हैं। चिदंबरम की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि ईडी का प्रत्यावेदन दुर्भावनापूर्ण है और यह उनके मुवक्किल को नुकसान पहुंचाने पर केंद्रित है। उन्होंने अदालत से यह भी कहा कि चिदंबरम जब चाहें समर्पण कर सकते हैं, यह उनका अधिकार है।

ईडी ने गई थी चिदंबरम को गिरफ्तार करने
सिब्बल ने कहा कि ईडी की टीम 20 और 21 अगस्त को चिदंबरम को गिरफ्तार करने के लिए उनके आवास पर गयी थी लेकिन अब वह ऐसा नहीं करना चाहती जिससे कि उनका न्यायिक हिरासत में रहना सुनिश्चित हो सके। अदालत आईएनएक्स मीडिया प्रकरण से जुड़े धनशोधन मामले में आत्मसमर्पण के लिए चिदंबरम की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुनवाई के दौरान मेहता ने दलील दी कि चिदंबरम से हिरासत में पूछताछ करने से पहले कुछ पहलुओं की जांच करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि एजेंसी चिदंबरम से हिरासत में सवाल पूछने से पहले छह अन्य लोगों से पूछताछ करना चाहती है और वह धनशोधन के ऐसे मामले की जांच कर रही है, जो देश के बाहर तक फैला हुआ है। मेहता ने चिदंबरम की समर्पण याचिका को खारिज करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘‘वह (चिदंबरम) पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं, इसलिए साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने की स्थिति में नहीं हैं। उपयुक्त समय पर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा क्योंकि उसके बाद हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ के लिए ईडी को महज 15 दिन मिलेंगे।''

आदेश से पड़ेगा जांच पर असर
मेहता और वकील नीतेश राणा ने कहा, ‘‘फिलहाल हम उनकी हिरासत नहीं चाहते हैं। हम उपयुक्त समय पर इस अदालत का रुख करेंगे। हम 15 दिन का अधिकतम इस्तेमाल करना चाहते हैं। '' उन्होंने कहा कि आरोपी जांच को निर्देशित नहीं कर सकता और उन्हें अभी हिरासत में लेने के आदेश से जांच एजेंसी के कार्य पर असर पड़ेगा।

मेहता ने कहा कि 21 अगस्त से पहले यह मानने का कारण था कि उनको गिरफ्तार करने की जरूरत है और ऐसा आज भी है। उन्होंने कहा कि चिदंबरम की गिरफ्तारी के बाद वे उनका सामना जुटाए गए साक्ष्यों से करना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि इस समय पुलिस हिरासत प्रदान करने से एक परंपरा बन जाएगी और तब हर आरोपी अदालत के सामने आएगा तथा इससे जांच एजेंसी की कार्य स्वतंत्रता को बाधित करेगा।

गिरफ्तारी से पहले ईडी करना चाहती है पूछताछ
ईडी की दलीलों का विरोध करते हुए सिब्बल और वकील अर्शदीप सिंह ने दावा किया कि एजेंसी चिदंबरम को परेशान करना चाहती है। उन्होंने कहा कि 21 अगस्त के बाद से क्या बदल गया जब वे उन्हें गिरफ्तार करना चाहते थे? ईडी को उन्हें हिरासत में लेने का निर्देश दिया जाना चाहिए।

सिब्बल ने कहा कि ईडी की टीम 20 और 21 अगस्त को चिदंबरम के आवास पहुंची थी, लेकिन अब उन्हें गिरफ्तार नहीं करना चाहती। बस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि वह न्यायिक हिरासत में रहें। यहां तक कि उच्चतम न्यायालय के समक्ष उसने (ईडी) कहा था कि वह उन्हें गिरफ्तार करना चाहती है। आज का उसका रुख है कि उनकी गिरफ्तारी से पहले वह छह अन्य से पूछताछ करना चाहती है, जिसका जिक्र पहले कभी नहीं किया गया।

भ्रष्टाचार के मामले में पांच सितंबर को चिदंबरम को 19 सितंबर तक 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। उसी दिन अदालत ने धनशोधन मामले में चिदंबरम की समर्पण याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया था।

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