स्टडी में दावा- कोरोना के डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ Covaxin की दोनों डोज 50% प्रभावी

Edited By Seema Sharma,Updated: 24 Nov, 2021 11:54 AM

covaxin are effective against the delta variant of corona

स्वदेशी कोरोना वैक्सीन Covaxin की दोनों डोज कोरोना के सिम्टोमैटिक (लक्षण वाले मरीजों) पर 50 प्रतिशत प्रभावी पाई गई हैं। भारत के स्वदेश में विकसित कोरोना वायरस टीके के पहले वास्तविक आकलन में यह दावा किया गया है जिसका प्रकाशन ‘द लांसेट इन्फेक्शियस...

नेशनल डेस्क: स्वदेशी कोरोना वैक्सीन Covaxin की दोनों डोज कोरोना के सिम्टोमैटिक (लक्षण वाले मरीजों) पर 50 प्रतिशत प्रभावी पाई गई हैं। भारत के स्वदेश में विकसित कोरोना वायरस टीके के पहले वास्तविक आकलन में यह दावा किया गया है जिसका प्रकाशन ‘द लांसेट इन्फेक्शियस डिजीज' जर्नल में किया गया है। हाल में लांसेट में प्रकाशित अंतरिम अध्ययन के परिणाम में सामने आया था कि कोवैक्सीन या bbv152 टीके की दो खुराक लक्षण वाले रोग के खिलाफ 77.8 फीसदी प्रभावी है और इसकी सुरक्षा को लेकर कोई गंभीर चिंता नहीं है। कोवैक्सीन को bbv152 भी कहा जाता है। 

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AIIMS में हुई स्टडी
लांसेट के नवीनतम अध्ययन में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में 15 अप्रैल से 15 मई तक 2,714 अस्पताल कर्मियों को शामिल किया गया, जिन्हें covid के लक्षण थे और जिन्होंने संक्रमण का पता लगाने के लिए RT-PCR जांच कराई थी। रिसर्चस ने कहा कि स्टडी के दौरान भारत में वायरस के डेल्टा स्वरूप का प्रकोप था और तब covid-19 के कुल पुष्ट मामलों में से 80 फीसदी के लिए यही स्वरूप जिम्मेदार था। हैदराबाद की भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान, पुणे (NIV-ICMR) के साथ मिलकर कोवैक्सीन का निर्माण किया जिसे 28 दिन के अंतर पर दो खुराक में दिया जाता है।

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कोवैक्सीन को भारत में 18 साल या उससे अधिक आयु के लोगों के लिए आपात उपयोग की मंजूरी जनवरी में दी गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसी महीने कोवैक्सीन को covid-19 टीकों के आपात उपयोग के लिए स्वीकृत टीकों की सूची में शामिल किया था। लांसेट का अध्ययन भारत में covid-19 की दूसरी लहर के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों पर किया गया जिन्हें प्राथमिक रूप से कोवैक्सीन टीका लगाने की पेशकश की गई थी। AIIMS नई दिल्ली में मेडिसिन के एडीशनल प्रोफेसर मनीष सोनेजा ने कहा कि हमारा अध्ययन इस बारे में एक पूरी तस्वीर दिखाता है कि BBV152 (कोवैक्सीन) इस क्षेत्र में कैसे काम करता है। इस पर भारत में covid-19 के मामले बढ़ने की पृष्ठभूमि में और डेल्टा स्वरूप के टीके से बच निकलने की क्षमता को देखते हुए विचार किया जाना चाहिए।''

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AIIMS स्थित कोविड टीकाकरण केंद्र में इस साल 16 जनवरी से सभी 23,000 कर्मियों को कोवैक्सीन टीका विशेष रूप से उपलब्ध करवाया गया था। अनुसंधानकर्ताओं ने लक्षण वाले SARS-CoV-2 संक्रमण के खिलाफ टीके के प्रभाव का आंकलन किया था। अध्ययन में शामिल 2,714 कर्मचारियों में से 1,617 लोगों को SARS-CoV-2 होने की पुष्टि हुई थी और 1,097 को संक्रमण नहीं होने का पता चला था। अध्ययन में सामने आया कि कोवैक्सीन टीके की दो खुराक के बाद लक्षण वाले COVID-19 रोग से 50 प्रतिशत बचाव हुआ, जिसमें RT-PCR जांच दूसरी खुराक के 14 या अधिक दिन बाद कराई गई थी।

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