कोरोना मरीजों का ईलाज करेंगी मिस इंग्लैंड भाषा मुखर्जी, भारत से है खास कनेक्शन

Edited By Tanuja,Updated: 09 Apr, 2020 01:03 PM

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भारतीय मूल की मॉडल व मिस इंग्लैंड भाषा मुखर्जी (24) ने कोरोना पीड़ितों की सेवा के लिए फिर से डॉक्टरी पेशे में लौटने का फैसला किया है। भाषा मुखर्जी 2019 में मिस इंग्लैंड चुनी गई थीं...

लंदनः भारतीय मूल की मॉडल व मिस इंग्लैंड भाषा मुखर्जी (24) ने कोरोना पीड़ितों की सेवा के लिए फिर से डॉक्टरी पेशे में लौटने का फैसला किया है। भाषा मुखर्जी 2019 में मिस इंग्लैंड चुनी गई थीं। भाषा अब दोबारा इंग्लैंड लौटकर डॉक्टर बनकर कोरोना के खिलाफ अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। अब वे अगस्त तक मरीजों के उपचार में जुटी रहेंगी। जरूरत पड़ी तो वे आगे भी अपनी सेवाओं को विस्तार दे सकती हैं। भाषा मुखर्जी मॉडल बनने से पहले जूनियर डॉक्टर के पद पर तैनात थीं। उन्होंने दिसंबर 2019 में मिस इंग्लैंड बनने के बाद इस पेशे को अलविदा कह दिया था।

 

 चैरिटी से जुड़ीं रहीं भाषा
भाषा बोस्टन के पिलिग्रिम हॉस्पिटल में काम करती थीं। जब उन्होंने अपने पुराने साथी डॉक्टरों से बात की तो इस बीमारी के बढ़ते मरीजों के बारे में पता चला। देश की सेवा का सही वक्त भाषा मुखर्जी ने कहा कि उन्हें लग रहा था कि मानवता के कार्यों के लिए ही उन्हें मिस इंग्लैंड का ताज मिला है। जब दुनिया कोरोना वायरस जैसी महामारी से जूझ रही है तो ऐसे हालात में अलग कैसे रह सकती हूं। मेरे लिए इससे अच्छा समय नहीं सकता कि जरूरत के वक्त देश की मदद करूं मॉडलिंग के दौरान भाषा अभी तक चैरिटी के काम में जुड़ी थीं। इसी सिलसिले में वे मार्च में भारत दौरे पर भी आई थीं। इस दौरान उन्होंने कोलकाता में सड़कों पर घूमने वाले बच्चों के लिए चंदा भी जुटाया था।

 

भारत से कनेक्शन
भाषा मुखर्जी का जन्म कोलकाता शहर में हुआ था। जब वह नौ साल की थीं तो अपने परिवार के साथ इग्लैंड चली गई थीं। यहां रहकर उन्होंने अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी की थी। भाषा मुखर्जी के पास मेडिकल साइंस में और मेडिसिन एंड सर्जरी में दो डिग्रियां हैं। इसके अलावा उनकी पांच अलग-अलग भाषाओं में अच्छी पकड़ भी है।

 

आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो भी करेंगे कोरोना मरीजों का उपचार
डॉक्टर बनकर लौटे: आयरलैंड के प्रधानमंत्री लियो वरडकर ने अब खुद ही मरीजों का इलाज करने का फैसला किया है। भारतीय मूल के लियो वरडकर पेशे से डॉक्टर हैं और देश में कोरोना संकट के बीच उन्होंने डॉक्टर की अपनी भूमिका में लौटने का निश्चय किया है। उनके परिवार के कई सदस्य भी स्वास्थ्य सेवा में काम कर रहे हैं। 41 साल के वरडकर राजनीति में आने से पहले डॉक्टर थे। उन्होंने मार्च माह में चिकित्सा रजिस्टर में फिर से पंजीकरण कराया। इसी महीने महामारी ने मुल्क को अपनी चपेट में लिया था।

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