Edited By vasudha,Updated: 03 Apr, 2018 07:52 PM
माकपा ने मोदी सरकार पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति कानून को कमजोर करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पुर्निवचार याचिका दायर करने के मामले में संसद और देश को गुमराह करने का आरोप लगाया है...
नेशनल डेस्क: माकपा ने मोदी सरकार पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति कानून को कमजोर करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले पर पुर्निवचार याचिका दायर करने के मामले में संसद और देश को गुमराह करने का आरोप लगाया है। माकपा के लोकसभा सदस्य मोहम्मद सलीम ने आज कहा कि गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन को बताया कि सरकार ने पुर्निवचार याचिका दायर करने में तत्परता दिखायी जबकि हकीकत यह है कि सरकार ने देश भर में इस मामले पर दलित संगठनों के सड़क पर उतरने के बाद सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की।
सलीम ने कहा कि पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुर्निवचार याचिका के बारे में दलील दी थी कि उच्चतम न्यायालय में इस मामले में सरकार पक्षकार नहीं थी और जबकि सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने अदालत में मौन साध रखा था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने सदन और अदालत को जानबूझ कर गुमराह किया है।सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के बारे में सलीम ने कहा कि सदन में इस प्रस्ताव पर बोलने वालों की सूची में प्रस्तावक सदस्यों के नामों का तो उल्लेख होता है लेकिन बोलने के लिये उनका नाम ही नहीं पुकारा जाता है।
देश के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश करने के सवाल पर माकपा के राज्यसभा सदस्य टी के रंगराजन ने बताया कि इस प्रस्ताव का मसौदा तैयार हो गया है, इसे अंतिम रूप देने के बारे में सभी विपक्षी दलों के साथ विचार विमर्श चल रहा है। यह काम अगले एक दो दिन में पूरा कर लिया जायेगा।