CJI के खिलाफ महाभियोग पर विपक्ष से चर्चाः लेफ्ट ने कहा- अब कार्यपालिका के हस्तक्षेप का समय

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jan, 2018 07:35 PM

cpm general secretaries speak of impeachment against cji

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की प्रशासनिक कार्यशैली पर सवाल उठाने के बाद से इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी तेज होती नजर आ रही है। मंगलवार को सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इस मामले में अब कार्यपालिका की भूमिका निभाने का समय आ गया...

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की कार्यशैली पर सवाल उठाने के बाद से इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी तेज होती नजर आ रही है। मंगलवार को सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इस मामले में अब कार्यपालिका को अपनी भूमिका निभानी चाहिए। आजाद भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों द्वारा मीडिया के सामने आकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस कार्यशैली पर सवाल उठाने से बवाल शुरू हो गया था।

आजाद भारत में पहली दफा मीडिया के सामने आए जज
इस दौरान येचुरी ने कहा, 'हम इस बात पर विपक्षी दलों से चर्चा कर रहे हैं कि क्या बजट सत्र में चीफ जस्टिस पर महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है।' गौरतलब है कि इस  प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद चार जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, एम. बी. लोकुर और कुरियन जोसफ ने एक चिट्ठी जारी की थी, जिसमें गंभीर आरोप लगाए गए थे। जजों का आरोप था कि चीफ जस्टिस की ओर से कुछ मामलों को चुनिंदा बेंचों और जजों को ही दिया जा रहा है। 

न्यायपालिका विवाद पर सीधे तौर पर नहीं बोला विपक्ष
जजों के इस बयान के बाद न्यायपालिका समेत पूरे देश में तहलका मचा दिया था। हालांकि किसी भी राजनीतिक दल ने इस विवाद पर सीधे तौर पर तो कुछ नहीं बोला, लेकिन अलग-अलग मुद्दों को लेकर उन्होंने सरकार को जरूर घेरा। इसी संदर्भ में सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी के बयान को भी लिया जा रहा है। 

बोले पीएम, राजनीतिक दलों को इससे दूर रहना चाहिए
वहीं, न्यापालिका संकट पर पहली बार बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि सरकार और राजनीतिक दलों को इससे दूर रहना चाहिए। उन्होंने भरोसा जताया था कि न्यायपालिका अपनी समस्याओं का समाधान निकालने के लिए एक साथ बैठेगी। हमारी न्यायिक प्रणाली में मेरी आस्था है, वे निश्चित तौर पर एक समाधान निकालेंगे।' 

किसी भी जज के खिलाफ महाभियोग की ये है प्रक्रिया 
महाभियोग की शुरुआत लोकसभा के 100 सदस्यों या राज्यसभा के 50 सदस्यों के सहमति वाले प्रस्ताव से हो सकती है। ये सदस्य संबंधित सदन के पीठासीन अधिकारी को जज के खिलाफ महाभियोग चलाने की अपनी मांग का नोटिस दे सकते हैं। प्रस्ताव पारित होने के बाद संबंधित सदन के पीठासीन अधिकारी द्वारा तीन जजों की एक समिति का गठन किया जाता है। इस समिति में सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश और एक कानूनविद को शामिल किया जाता है। यह तीन सदस्यीय समिति संबंधित जज पर लगे आरोपों की जांच करती है। आरोप साबित होने पर संसद के दोनों सदनों में एक प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है। 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!