दरिंदों का शिकार हो रहे मासूम बच्चे, लोगों को नहीं रहा पुलिस पर भरोसा

Edited By vasudha,Updated: 11 Dec, 2019 09:52 AM

crimes related to children increased

हाल के वर्षों में भले ही बलात्कार, छेड़छाड़ और अपहरण के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन बच्चों के खिलाफ यौन अपराध में बढ़ोतरी चिंताजनक है। पोक्सो में दर्ज आपराधिक मामलों में बलात्कार के कुल 63 प्रतिशत मामलों 1965 में से 1237 मामलों में...

नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): हाल के वर्षों में भले ही बलात्कार, छेड़छाड़ और अपहरण के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन बच्चों के खिलाफ यौन अपराध में बढ़ोतरी चिंताजनक है। पोक्सो में दर्ज आपराधिक मामलों में बलात्कार के कुल 63 प्रतिशत मामलों 1965 में से 1237 मामलों में दरिंदों ने मासूम बच्चों को अपना शिकार बनाया। इसके अलावा वर्ष 2018-19 में अपहरण एवं बहला फुसलाकर भगाने के कुल मामलों में से 94 प्रतिशत, 5555 मामले बच्चों के अपहरण के थे। एक गैरसरकारी संगठन ने यहां जारी रिपोर्ट में यह जानकारी दी। 

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प्रजा फाउंडेशन के निदेशक मिलिंद म्हस्के ने दिल्ली में पुलिस तथा कानून व्यवस्था की स्थिति पर रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि अपहरण के मामलों की अधिकतम संख्या लड़कियों के अपहरण से संबंधित थे और इस प्रकार वर्ष 2018-19 में 70 प्रतिशत मामलों में लड़कियों का अपहरण किया गया था। रिपोर्ट में कहा कि पिछले कुछ वर्षों में अपराध की घटनाओं ने एक सुरक्षित शहर के रूप में दिल्ली की छवि को नुकसान पहुंचाया है। उन्होने बताया कि प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2014-15 से वर्ष 2018-19 की अवधि में रिपोर्ट किए गए बलात्कार के मामलों में 6 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि रिपोर्ट किए गए छेड़छाड़ के मामलों में 30 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। 

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फाउंडेशन के संस्थापक एवं प्रबंध न्यासी निताई मेहता ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या इससे पता चलता है कि दिल्ली में अपराध की स्थिति में सुधार हुआ है या फिर इससे यह पता चलता है कि दिल्ली के नागरिकों को पुलिस के पास आपराधिक घटनाओं की रिपोर्ट करने में परेशानी हो रही है। म्हस्के ने बताया कि जब प्रजा की ओर से हंसा रिसर्च द्वारा दिल्ली में 27121 परिवारों के सर्वेक्षण के नतीजों पर गौर किया तो पता चलता है कि उन्हें पुलिस, कानूनी प्रक्रिया पर जरा भी यकीन नहीं है इसलिए वे दूर रहे। रेलवे बोर्ड के पूर्व सदस्य शांति नारायण ने कहा कि मौजूदा हालात कानून व्यवस्था की खराब छवि दर्शाती है। 

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रिपोर्ट के प्रमुख तथ्य

  • रिपोर्ट किए गए प्रमुख अपराध में चोरी के मामले की वर्ष 2014-15 में 52211 थी वर्ष 2018-19 में 108 प्रतिशत बढ़कर 1.08 लाख हुई 
  • 27121 परिवारों से पूछा, 10 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अपराध होते हुए देखा लेकिन 57 प्रतिशत ने सूचना नहीं दी
  • 35 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अपराध का सामना किया, 26 प्रतिशत ने पुलिस को इसकी सूचना नहीं दी, चार प्रतिशत ने एफआईआर दर्ज कराई 
  • अपराध का सामना करने तथा इसकी रिपोर्ट कराने वाले लोगों में से केवल 5 प्रतिशत ने पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज करवाई 
  • सूचना देने वालों में 72 प्र. उत्तरदाता अपराध के गवाह थे और 73 प्र. ने अपराध का सामना किया था वे पुलिस से संतुष्ट नहीं थे
  • 20 प्र. उत्तरदाता अपराध के गवाह थे और 26 प्र. ने अपराध का सामना किया लेकिन पुलिस को रिपोर्ट नहीं की
  • बलात्कार के 1965 मामलों में से 1237 मामले 63 प्रतिशत में पीड़ित बच्चे थे 
  • वर्ष 2018-19 में बाहरी दिल्ली जिले में बलात्कार 218, छेडख़ानी 378, अपहरण-बहला फुसलाकर भगाने 863 के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए
  • उत्तर पश्चिम दिल्ली  में चोरी के मामलों की संख्या 12875 सबसे अधिक थी 
  • कुल 4.02 लाख आईपीसी मामले 2017 में दर्ज हुए जिसमें 35 प्रतिशत जांच के लिए लंबित थे इसमें 52075 में चार्जशीट फाईल हुई 

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