तीस्ता के खिलाफ SC की टिप्पणियों की आलोचना राजनीति से प्रेरित, 190 पूर्व जजों और अफसरों ने कहा

Edited By rajesh kumar,Updated: 12 Jul, 2022 04:17 PM

criticism of sc s remarks against teesta is politically motivated

पूर्व न्यायाधीशों और अधिकारियों के एक समूह ने मंगलवार को कहा कि कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों की समाज के एक वर्ग द्वारा की जा रही निंदा ‘‘राजनीति से प्रेरित'''' है।

नेशनल डेस्क: पूर्व न्यायाधीशों और अधिकारियों के एक समूह ने मंगलवार को कहा कि कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों की समाज के एक वर्ग द्वारा की जा रही निंदा ‘‘राजनीति से प्रेरित'' है। समूह ने सीतलवाड़ के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किए जाने का भी समर्थन किया। इस संबंध में 190 पूर्व न्यायाधीशों और अधिकारियों के समूह ने एक बयान में कहा कि सीतलवाड़ और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किया जाना कानून के अनुरूप है तथा आरोपी हमेशा न्यायिक उपचार का सहारा ले सकते हैं।

बयान में कहा गया, "राजनीतिक रूप से प्रेरित नागरिक समाज के एक वर्ग ने बड़े पैमाने पर न्यायपालिका की ईमानदारी पर आक्षेप लगाने का प्रयास किया है और इस मामले में, इस वर्ग ने न्यायपालिका पर उन टिप्पणियों को हटाने के लिए दबाव बनाने का प्रयास किया है जो सीतलवाड़ और उन दो दोषी पूर्व-आईपीएस अधिकारियों के विरुद्ध हैं जिन्होंने सबूत गढ़ने का काम किया।" समूह ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने एक ऐसे मामले में कार्रवाई की जो उसके अधिकार क्षेत्र में था और उसकी कार्यवाही में संशोधन के लिए कोई भी कार्रवाई एक नियमित प्रस्ताव के रूप में होनी चाहिए।

इसने कहा कि यहां तक ​​कि नागरिक समाज के इस वर्ग का दावा है कि नागरिक पूरी तरह से व्यथित हैं और अदालत के आदेश से निराश हैं। तेरह सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, 90 पूर्व नौकरशाहों और सशस्त्र बलों के 87 पूर्व अधिकारियों ने अपने बयान में कहा कि कानून का पालन करने वाले नागरिक कानून के शासन को बाधित किए जाने के प्रयास से व्यथित और निराश हैं। उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति आर.एस. राठौर, एस.एन. ढींगरा और एम.सी. गर्ग के अलावा पूर्व आईपीएस अधिकारियों-संजीव त्रिपाठी, सुधीर कुमार, बी. एस. बस्सी और करनल सिंह, पूर्व आईएएस अधिकारियों- जी प्रसन्ना कुमार और पी चंद्रा तथा लेफ्टिनेंट जनरल (अवकाशप्राप्त) वी. के. चतुर्वेदी हस्ताक्षरकर्ताओं में शामिल हैं। उनके बयान का शीर्षक "न्यायपालिका में हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं" है। 

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