पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर भारत लौटा गुजरात का मछुआरा, सुनाई सरहद पार की आपबीती

Edited By rajesh kumar,Updated: 23 Jan, 2021 07:25 PM

crossing the border by mistake in 2008

गुजरात के कच्छ जिले का एक चरवाहा, जो 2008 में अनजाने में पाकिस्तान की सीमा में चला गया था और जिसे जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था, पड़ोसी देश की जेलों में लंबे समय तक बंद रहने के बाद आखिरकार भारत लौट आया।

नेशनल डेस्क: गुजरात के कच्छ जिले का एक चरवाहा, जो 2008 में अनजाने में पाकिस्तान की सीमा में चला गया था और जिसे जासूसी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था, पड़ोसी देश की जेलों में लंबे समय तक बंद रहने के बाद आखिरकार भारत लौट आया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। पाकिस्तान सीमा से करीब 60 किलोमीटर दूर कच्छ के नाना दिनारा गाँव के 60 वर्षीय इस्माईल समा अपने मवेशियों को चराने के दौरान गलती से पाकिस्तान में प्रवेश कर गए थे। तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और फिर उन्हें जेल में बंद कर दिया गया।

भारतीय उच्चायोग द्वारा दायर एक याचिका पर इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद दो दिन पहले उन्हें जेल से रिहा किया गया। अटारी में अधिकारियों ने कहा कि समा शुक्रवार को वाघा-अटारी अंतरराष्ट्रीय सीमा से होते हुए अमृतसर पहुंचे। सूत्रों ने बताया कि उनके परिवार के कुछ सदस्य भी उन्हें लेने के लिए अमृतसर पहुंचे हुए हैं। अधिकारियों ने बताया कि अमृतसर में अधिकारी कुछ औपचारिकताएं पूरी कर रहे हैं, जिसमें समा की मेडिकल जांच शामिल है, जिसके बाद उन्हें उनके परिवार को सौंप दिया जाएगा। उनके गाँव में एक एनजीओ चलाने वाले फजल समा और उनके रिश्तेदार युनूस समा शनिवार को अमृतसर में इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी में उनसे मिले।

समा ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा, मैं अपने मवेशियों को चराने के दौरान गलती से पाकिस्तान की तरफ चला गया था। उन्होंने मुझे एक जासूस और रॉ का एजेंट बताया। आईएसआई ने मुझे छह महीने तक जेल में रखा, फिर मुझे पाकिस्तान की सेना को सौंप दिया। पांच साल जेल की सजा सुनाए जाने से पहले मैं तीन साल तक उनकी हिरासत में था। अक्टूबर 2016 में मेरी सजा पूरी होने के बाद भी मुझे रिहा नहीं किया गया था।' उन्होंने कहा, "मैं 2018 तक सात साल तक हैदराबाद सेंट्रल जेल में रहा। इसके बाद मुझे दो अन्य भारतीयों के साथ कराची सेंट्रल जेल भेज दिया गया।"

पत्रकार और शांति कार्यकर्ता जतिन देसाई ने कहा कि समा के बारे में जानने के बाद, पाकिस्तान-इंडिया पीपुल्स फोरम फॉर पीस एंड डेमोक्रेसी (पीआईपीएफपीडी) और एक स्थानीय एनजीओ ने दोनों सरकारों से संपर्क करना शुरू किया और पाकिस्तान उच्चायुक्त को पत्र लिखकर उनकी रिहाई का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि उनकी रिहाई भारतीय उच्चायोग द्वारा चार भारतीय कैदियों की रिहाई के लिए याचिका दायर करने के बाद संभव हो पाई है, जिन्होंने बहुत पहले ही अपनी सजा पूरी कर ली थी।

 

 

 

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