‘दो रोटी’, को मोहताज परिवार को जब मिला सीआरपीएफ  का सहारा ..

Edited By Monika Jamwal,Updated: 17 Jul, 2019 02:31 PM

crpf a helping hand for poor labourer in kashmir

कश्मीर को कथित कश्मीरियत के नाम पर आतंक की गर्त में धकेलने वालों को कभी वहां के मजबूर वाशिंदों नजर नहीं आते हैं।

श्रीनगर (मजीद/एजैंसियां) : कश्मीर को कथित कश्मीरियत के नाम पर आतंक की गर्त में धकेलने वालों को कभी वहां के मजबूर वाशिंदों नजर नहीं आते हैं। वादी में न जाने कितने ही परिवार ऐसे हैं, जो आतंकवाद के चलते न केवल पाई-पाई को मोहजात हैं, बल्कि उनके घर का चूल्हा भी बमुश्किल जल रहा है। कश्मीर में एक ऐसा ही परिवार अब्दुल कयूम का है, जो बीते कुछ महीनों पहले तक दो जून की रोटी के लिए भी मजबूर हो गया था। जम्मू-कश्मीर के एक छोटे से कस्बे में रहने वाले अब्दुल कयूम के परिवार में उसकी पत्नी के अलावा दो मासूम बच्चे थे। अब्दुल कयूम मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहा था। कुछ महीनों पहले अब्दुल कयूम की किडनी ने उसके शरीर का साथ छोडऩा शुरू कर दिया। किडनी की बीमारी के चलते हालात यहां तक पहुंच गए कि अब अब्दुल कयूम के लिए मजूदरी करना भी मुश्किल हो गया। ऐसे में अब्दुल कयूम के लिए अपने परिवार का भरण-पोषण करना बेहद मुश्किल हो गया।


शुरुआती दौर में, कयूम ने घर में मौजूद कीमती चीजों को बेंचकर अपना इलाज और परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम किया। धीरे-धीरे कयूम के घर में मौजूद हर कीमती सामान बिक गया। जिसके बाद, कुछ दिनों तक कयूम का परिवार कुछ रिश्तेदारों के रहमोकरम पर अपना गुजर बसर करता रहा। लेकिन मुसीबत तब बढ़ गई जब रिश्तेदारों ने भी कयूम के परिवार से नाता तोडऩा शुरू कर दिया। अब कयूम के लिए परिवार का भरण पोषण उसकी जिंदगी से भी बड़ी चुनौती बन गया। इसी बीच, कयूम को उसके एक साथ ने सीआरपीएफ  की ‘मददगार’ यूनिट के बारे में बताया। अपने साथी के कहने पर वह सीआरपीएफ  के समीपवर्ती कैंप में पहुंच गया। कयूम की पूरी कहानी जानने के बाद सीआरपीएफ के अधिकारियों ने मदद का भरोसा दिया। कयूम की माली हालत के बारे में पता लगाने के बाद सीआरपीएफ ने उसे अपने अस्पताल में बुलवाया, जहां सीआरपीएफ  के डॉक्टर्स ने उसका मेडिकल चेकअप किया।


सीआरपीएफ ने अपने डॉक्टर्स की सलाह के आधार पर कयूम को सभी आवश्यक दवाएं भी उपलब्ध कराई। सीआरपीएफ  की मदद यहीं नहीं रुकी। सीआरपीएफ के अधिकारियों को यह भी चिंता सता रही थी कि इलाज और दवा मिलने के बावजूद कयूम की हालत ऐसी नहीं है कि वह मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार को दो वक्त की रोटी उपलब्ध करा सके। इस समस्या के समाधान के लिए सीआरपीएफ ने एक एनजीओ की मदद से कयूम की पत्नी को कपड़ों की सिलाई का प्रशिक्षण दिलाया।


कयूम की पत्नी का प्रशिक्षण पूरा होने तक उसके परिवार की जिम्मेदारी खुद सीआरपीएफ  ने उठाई। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद सीआरपीएफ ने एक सिलाई मशीन कयूम की पत्नी की उपलब्ध कराई, जिससे वह सिलाई कर अपने परिवार का भरण पोषण कर सके। एक निश्चित आमदनी के लिए सीआरपीएफ ने कुछ स्थानीय टेलर्स और एनजीओ की मुलाकात कयूम की पत्नी के साथ करवाई है। ये एनजीओ और टेलर्स समय समय पर कयूम की पत्नी को काम उपलब्ध कराकर उसकी आमदनी सुनिश्चित करेंगे।
 

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