Edited By Anil dev,Updated: 03 Aug, 2018 10:45 AM
देश में साइबर ठगी के हब से रूप में प्रसिद्ध हो चुके झारखंड के जामताड़ा से ऑपरेट होने वाले साइबर ठगी के गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए क्राइम ब्रांच की टीम ने सात साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पता चला है कि सातों आरोपी देश भर में लोगों को...
नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): देश में साइबर ठगी के हब से रूप में प्रसिद्ध हो चुके झारखंड के जामताड़ा से ऑपरेट होने वाले साइबर ठगी के गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए क्राइम ब्रांच की टीम ने सात साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पता चला है कि सातों आरोपी देश भर में लोगों को बैंक कर्मचारी बनकर फोन पर करीब 1 हजार से अधिक लोगों को अपना शिकार बना चुके हैं।गिरफ्तार आरोपी माजेर सिंह, वरिंदर सिंह और अभषेक शर्मा पंजाब में रहकर गिरोह चलाते थे और जामताड़ा में रह रहे मो. सलीम, मो. अब्दुल रहीम, मो. मुमताज और जगन्नाथ मंडल इनके इशारे पर वारदातों को अंजाम देते थे।
फोन पर बैंक कर्मचारी बन लेते थे खाते की जानकारी
सभी आरोपी लोगों से फोन पर बैंक कर्मचारी बन उनसे खाते की जानकारी लेते थे और खाते से रुपए निकाल अपने ई-वालेट में ट्रांसफर कर लेते थे। ऐसी ही एक शिकायत 10 जुलाई को साइबर सेल में प्रबीर कुमार बसु नामक व्यक्ति ने की थी, जिसमें बताया था कि 8 जुलाई को उन्हें एक फोन आया था और उसने खाते से संबंधित जानकारी लेकर उनके खाते से 50 हजार रुपए निकाल लिए थे। शिकायत पर मामला दर्ज कर जब क्राइम ब्रांच की टीम ने जांच शुरू की तो पता चला कि निकाले गए रुपए को अलग-अलग ई-वालेट में ट्रांसफर किया गया है। उसमें से एक ई-वालेट के रुपए को राजस्थान के अब्दुल रहीम के खाते में ट्रांसफर किया गया था।
गिरोह का मास्टरमाइंड है जगन्नाथ मंडल
इसके साथ ही पुलिस टीम ने ई-वालेट ऑपरेट करने वाले मोबाइल का पता किया तो पता चला कि ये ई-वालेट्स ऐसे नंबरों पर थे जो फर्जी आईडी पर खरीदे गए थे। इन नंबरों को ट्रैक कर पुलिस ने सबसे पहले माजेर सिंह, वरिंदर और अभिषेक को पंजाब से पकड़ा। इनकी निशानदेही पर पुलिस को पता चला कि यह गिरोह जामताड़ा से संचालित होता है और ये लोग लूट के पैसे कैश डिपॉजिट मशीनों के जरिए बैंक में जमा करते हैं। इसके बाद टीम ने जामताड़ा में एक कॉल सेंटर पर छापा मारकर मंडल और तीन अन्य साथियों को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि गिरोह का मास्टरमाइंड जगन्नाथ मंडल है जिसने साल 2015 में गिरोह बनाया था। वह पहले यूपी के कानपुर में आइसक्रीम की फैक्टरी में काम करता था।