लॉकडाउन चक्रवात अम्फान से बेरोजगार हुए मजदूरों के लिए दुख के भेष में लाया सुख

Edited By Anil dev,Updated: 26 May, 2020 01:28 PM

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बांग्ला कहावत ‘करोर पॉश माश तो करोर सोर्बनाश’ (किसी का नुकसान किसी अन्य का फायदा बन जाना) इन दिनों चक्रवात प्रभावित पश्चिम बंगाल में चरितार्थ होती दिख रही है। एक तरफ, चक्रवात अम्फान ने दक्षिण बंगाल के बड़े हिस्सों में तबाही मचाई है

कोलकाता: बांग्ला कहावत ‘करोर पॉश माश तो करोर सोर्बनाश’ (किसी का नुकसान किसी अन्य का फायदा बन जाना) इन दिनों चक्रवात प्रभावित पश्चिम बंगाल में चरितार्थ होती दिख रही है। एक तरफ, चक्रवात अम्फान ने दक्षिण बंगाल के बड़े हिस्सों में तबाही मचाई है और लाखों लोगों को प्रभावित किया है वहीं दूसरी तरफ इसने कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन के कारण दो महीने से बेरोजगार बैठे दिहाड़ी मजदूरों और इलेक्ट्रिशियनों के लिए आजीविका के अवसर भी पैदा किए हैं।
 

पांच दिन से अधिक समय से बिना पानी या बिजली के रह रहे लोगों के प्रदर्शन के बीच उखड़े हुए पेड़ों को साफ करने और बिजली की आपूर्ति बहाल करने के लिए मानव श्रम की कमी होने से कई प्रभावित इलाकों में नगर अधिकारियों ने श्रमिकों और इलेक्ट्रिशियनों को इन कार्यों में लगाया हुआ है। कोलकाता नगरपालिका (केएमसी) के एक पार्षद ने पीटीआई-भाषा से कहा, “लॉकडाउन के चलते ड्यूटी पर लौट पाने में असमर्थ लोगों की वजह से मानवश्रम की कमी हो गई है। इसलिए हमने सड़कों को बाधित कर रहे पेड़ों को हटाने के लिए स्थानीय श्रमिकों की मदद लेने का फैसला किया है।” 

उन्होंने बताया, “हालांकि बिजली आपूर्ति बहाल करने का काम कलकत्ता बिजली आपूर्ति निगम (सीईएससी) का है, हर जगह तारें गिरीं हुई हैं इसलिए हमें उन्हें सुरक्षित ढंग से हटाने के लिए स्थानीय इलेक्ट्रिशियनों की जरूरत है।”  केएमसी के अलावा, दक्षिण दमदम और उत्तरी दमदम नगर निगमों के अधिकारियों ने भी सड़कों पर गिरे पेड़ों को हटाने के लिए दिहाड़ी मजदूरों की मदद ली है।

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