Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Oct, 2019 07:03 AM
इस उपाय के लिए वैसे तो अमावस्या की कोई भी काल रात्रि चुनी जाती है परंतु दीपावली की महानिशा इसके लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। तकली से कता हुआ कच्चा सूत तथा चुना हुआ रुद्राक्ष लेकर आप किसी एकांत स्थान में
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इस उपाय के लिए वैसे तो अमावस्या की कोई भी काल रात्रि चुनी जाती है परंतु दीपावली की महानिशा इसके लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। तकली से कता हुआ कच्चा सूत तथा चुना हुआ रुद्राक्ष लेकर आप किसी एकांत स्थान में किसी घने पीपल अथवा बड़ के वृक्ष के नीचे जाएं। उसके नीचे जड़ में यह रुद्राक्ष रख दें। इसके चारों ओर 7 बर्फी के टुकड़े तथा एक मुट्ठी साबुत उड़द की काली दाल सजा दें। मन में निरन्तर लक्ष्मी जी का ध्यान बनाएं रखें। अब निम्नलिखित मंत्र का जप करते हुए तथा हाथ से धीरे-धीरे कच्चा सूत वृक्ष पर लपेटते हुए वृक्ष की सात बार उल्टी प्रदक्षिणा करें अर्थात अपने दाएं हाथ से बाएं हाथ की ओर-
‘‘रमन्ता पुण्या लक्ष्मीर्या पापीस्ता अनीनशम’’ (अथर्व 7/115/4)
अर्थात-पुण्या लक्ष्मी हमारे घर में रमण करें और जो अनर्थमूल पापिनी है वह विनष्ट हो जाए।
इस प्रकार मंत्र जपते हुए वृक्ष पर आप सात बार कच्चा सूत लपेट दें। यह उपाय पितर जनों की शांति स्वरूप भी समझा जा सकता है।
उपाय के अंत में मिट्टी के पात्र से श्रद्धापूर्वक वृक्ष को अर्घ्य दें और जल से भर कर पात्र को बर्फी के पास ही रख दें। रुद्राक्ष को उठाकर उक्त मंत्र जपते हुए तथा यह भावना निरंतर बनाते हुए कि लक्ष्मी जी को आप घर में प्रवेश करवाने जा रहे हैं, अब रुद्राक्ष या तो धारण कर लें अथवा इसे लाल कपड़े में लपेटकर अपनी पूजा के अथवा अन्य पवित्र स्थान पर स्थापित कर दें। नित्य एक नियम बनाकर मंत्र का नियमित जाप करते रहें।