Edited By Anil dev,Updated: 10 Jan, 2020 03:44 PM
केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने जेएनयू में प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के पहुंचने पर उन पर निशाना साधा है। दीपिका पादुकोण पर हमला बोलते हुए स्मृति ने कहा कि जिसने भी यह खबर पढ़ी होगी, वह यह जानना चाहता...
नई दिल्ली: केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने जेएनयू में प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच अभिनेत्री दीपिका पादुकोण के पहुंचने पर उन पर निशाना साधा है। दीपिका पादुकोण पर हमला बोलते हुए स्मृति ने कहा कि जिसने भी यह खबर पढ़ी होगी, वह यह जानना चाहता होगा कि दीपिका प्रदर्शनकारियों के बीच क्यों गईं।
केंद्रीय मंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा कि मैं जानना चाहती हूं कि आखिर वह राजनीतिक रूप से किससे जुड़ी हुई है। स्मृति ने आगे कहा कि यह हमारे लिए हैरानी की बात नहीं है कि वह उन लोगों के साथ खड़ी हुईं, जो भारत के टुकड़े करना चाहते हैं। वह उन लोगों के साथ खड़ी हुई, जिन्होंने लाठियों से लड़कियों की पिटाई की। महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा- दीपिका ने अपनी राजनीतिक पसंद 2011 में ही जाहिर कर दी थी कि वे कांग्रेस का समर्थन करती हैं।
वहीं स्मृति ईरानी ने विपक्ष पर आरोप लगाया है कि वे नागरिकता संशोधन कानून (सीएए)को लेकर भ्रांतियां फैला रहे हैं कि यह केवल पाकिस्तान से उत्पीड़ति होकर आए हिंदुओं को नागरिकता देने के लिए है। ईरानी ने यहां गुरुवार रात सीएए के समर्थन में एक रैली को संबोधित करते कहा कि इस कानून के तहत पाकिस्तान,बंगलादेश और अफगानिस्तान से आए सिख,पारसी,जैन,ईसाई और बौद्ध समुदाय के लोगों को भी नागरिकता देने का प्रावधान है। उन्होंने द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) पर श्रीलंका से आए तमिल शरणार्थियों को नागिरकता देने में दोहरे चरित्र अपनाने का आरोप लगाया है। ईरानी ने कहा कि यह केवल भाजपा का मामला नहीं,बल्कि देश और भाईचारे की बात है।
उन्होंने द्रमुक से सवाल किया कि उसने नवंबर 2007 में चुप्पी क्यों साधी थी जब तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने पुनर्वास के लिए गठित विशेष आयोग से श्रीलंका से आए तमिल शरणार्थियों को नागरिकता नहीं देने की गुजारिश की थी। उन्होंने आरोप लगाया कि क्या यह इसलिए था कि मनमोहन सिंह की सरकार ने द्रमुक को देश लुटने का आदेश दे दिया था। ईरानी ने कहा कि पाकिस्तान के पहले कानून मंत्री जोगेंद्रनाथ मंडल एक दलित थे जिन्हें पाकिस्तान से परिष्कृत कर इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया गया था, जिसके बाद वह भारत आए और उनका निधन पश्चिम बंगाल में हुआ। उन्होंने कांग्रेस पर देश का विभाजन करने के लिए विश्वविद्यालय के छात्रों को भड़काने का आरोप लगाया है।