Edited By shukdev,Updated: 18 Oct, 2019 06:33 PM
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने तथा रक्षा उत्पादों का पमुख निर्यातक बनाने की कोशिशें रंग ला रही हैं और अगले पांच साल में रक्षा निर्यात के 35 हजार करोड़ तक पहुंचने की प्रबल संभावना है। जनरल रावत ने...
नई दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने तथा रक्षा उत्पादों का पमुख निर्यातक बनाने की कोशिशें रंग ला रही हैं और अगले पांच साल में रक्षा निर्यात के 35 हजार करोड़ तक पहुंचने की प्रबल संभावना है। जनरल रावत ने शुक्रवार को रक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विनिर्माण के क्षेत्र में देश की रक्षा क्षमता निरंतर बढ रही है और इसके अगले पांच साल में 35 हजार करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। उन्होंने कहा,‘ हम धीरे धीरे निर्यातोन्मुखी रक्षा उद्योग बन रहे हैं और हमारा रक्षा निर्यात जो अभी एक वर्ष में 11 हजार करोड़ रुपए है अगले पांच वर्ष में यह 35 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।'
उन्होंने कहा कि यह निराशाजनक है कि आजादी के 70 वर्ष बाद भी हम विदेशों से सैन्य साजो सामान का आयात करते रहे हैं लेकिन अब स्थिति बदल रही है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) सेनाओं की जरूरत को ध्यान में रखकर उत्पाद बना रहा है और उनकी आपूर्ति कर रहा है। सेना प्रमुख ने कहा कि दुनिया में निरंतर बदलती परिस्थितियों के मद्देनजर रक्षा उद्योग को सेनाओं की जरूरतों को उसकी के अनुरूप पूरा करना होगा। सेना का उद्देश्य शांति और स्थिरता बनाए रखना होता है लेकिन इसके लिए उसकी क्षमता और ताकत बढाने के लिए उसे अत्याधुनिक साजो सामान से लैस करना जरूरी है।
जनरल रावत ने कहा कि भारत पड़ोस में शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध है और सेना मित्र देशों के साथ मिलकर किसी भी नए खतरे का सामना करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना दुनिया की केवल आकार में ही बड़ी सेनाओं में शुमार नहीं है बल्कि वह अपने अनुभव, कौशल और पेशेवर रुख के लिए भी जानी जाती है। सम्मेलन में मौजूद नौसेना प्रमुख एडमिरल कर्मबीर सिंह ने हिन्द महासागर में समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए विभिन्न देशों के बीच सहयोग बढाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि समुद्री लुटेरे एक बड़ी चुनौती है जिससे निपटने के लिए परस्पर सहयोग जरूरी है।