Edited By Pardeep,Updated: 26 Mar, 2021 05:41 AM
देश में जो परियोजनाएं धीमी पड़ गई हैं, उनको गति देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों तथा केंद्रीय मंत्रालयों के सचिवों के साथ मासिक रूप से होने वाली ‘अति-सक्रिय शासन एवं समयबद्ध क्रियान्वयन’ ...
नई दिल्लीः देश में जो परियोजनाएं धीमी पड़ गई हैं, उनको गति देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों तथा केंद्रीय मंत्रालयों के सचिवों के साथ मासिक रूप से होने वाली ‘अति-सक्रिय शासन एवं समयबद्ध क्रियान्वयन’ (प्रगति) बैठकें आरंभ की हैं।
मोदी जब 2014 में प्रधानमंत्री बने थे तो उन्होंने अपनी पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यू.पी.ए.) सरकार को परियोजनाएं लागू करने में देरी करने तथा लागू की गई परियोजनाओं की प्रगति में सुस्ती के कारण खर्चों में बढ़ौतरी के लिए दोषी ठहराया था। उनको सत्ता संभाले 6 वर्ष हो गए हैं और इस समय 150 करोड़ से अधिक की लागत वाली 1736 केंद्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं लटकी पड़ी हैं।
इनमें से 449 परियोजनाओं का खर्च बढ़ गया है जबकि 547 परियोजनाओं के पूरा होने का समय गुजर चुका है तथा 208 ऐसी परियोजनाएं हैं जिनका निर्धारित समय गुजर गया है और उनका खर्च लगातार बढ़ रहा है। कुल मिलाकर 1736 परियोजनाएं या तो समय से पीछे हैं या उन पर खर्च बहुत बढ़ गया है। जानते हैं देरी के कारण क्या कीमत चुकानी पड़ेगी? देरी से चल रही 547 परियोजनाओं पर 291014.58 करोड़ का खर्च बढ़ गया है।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय इन परियोजनाओं को लेकर आंकड़े एकत्रित करके उन्हें ऑनलाइन कंप्यूटर मॉनिटरिंग सिस्टम (ओ.सी.एम.एस.) पर डालता है जिसकी प्रधानमंत्री मोदी वीडियो कांफ्रैंसिंग के माध्यम से व्यक्तिगत रूप से मॉनिटरिंग करते हैं। यह तफसील सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने संसद में रखी थी।
वैसे केंद्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को लागू करने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कि ये परियोजनाएं समय के भीतर और बिना अतिरिक्त खर्च के पूरी हों, एक पूरी ठोस प्रणाली मौजूद है। संबंधित नोडल इंफ्रास्ट्रक्चर एजैंसियां राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों से तालमेल करके इन परियोजनाओं को लागू करवाने की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। परियोजनाओं में देरी के लिए सरकार के पास एक ही बंधा-बंधाया जवाब होता है कि कुछ खास परियोजनाओं में ही देरी हो रही है तथा तकनीकी, वित्तीय, प्रशासनिक व अन्य कारणों से ऐसा हो रहा है।