Edited By Anil dev,Updated: 23 Sep, 2020 10:38 AM
दिल्ली दंगा मामले में अदालत में पेश आरोपपत्र के मुताबिक दिल्ली पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि एक दिसंबर 2019 से 26 फरवरी, 2020 के दौरान आरोपी इशरत जहां, खालिद सैफी, ताहिर हुसैन, शिफा उर रहमान और मीरन हैदर को विदेश से बैंक खातों और नकदी के माध्यम...
नई दिल्ली (नवोदया टाइम्स): दिल्ली दंगा मामले में अदालत में पेश आरोपपत्र के मुताबिक दिल्ली पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि एक दिसंबर 2019 से 26 फरवरी, 2020 के दौरान आरोपी इशरत जहां, खालिद सैफी, ताहिर हुसैन, शिफा उर रहमान और मीरन हैदर को विदेश से बैंक खातों और नकदी के माध्यम से कुल 1 करोड़ 61 लाख, 33 हजार 703 रुपए मिले थे। जांच के दौरान यह भी पता चला कि दिल्ली दंगों के एक आरोपी ने मलेशिया में जाकर जाकिर नाईक से मुलाकात भी की थी। दिल्ली दंगों की जांच क्राइम ब्रांच कर रही है।
ज्ञात हो कि स्पेशल सेल ने दंगों के एक मास्टरमाइंड खालिद सैफी को बीते महीने गिरफ्तार किया था और उसका पासपोर्ट भी बरामद किया था। तफ्तीश में उसी पासपोर्ट की डिटेल्स से पता चला कि खालिद ने भारत से फरार जाकिर नाईक से मुलाकात की थी। खालिद सैफी ने दंगों के पहले शाहीनबाग में ताहिर हुसैन और जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद के साथ मीटिंग की थी, जिसमें दंगों की योजना बनाई गई। तफ्तीश में यह बात सामने आई कि दंगों के लिए फंडिग की गई थी। स्पेशल सेल के मुताबिक प्रदर्शन में भड़काऊ भाषण देने वाली और दंगों के आरोप में गिरफ्तार इशरत जहां को भी फंड मिला था। ये फंड गाजियाबाद और महाराष्ट्र के उसके कुछ रिश्तेदारों से मिला था।
फंड जिन्होंने दिया उनसे पूछताछ की जानी थी, लेकिन कोरोना की वजह से अभी पूछताछ नहीं हुई है। स्पेशल सेल को जांच में पता चला कि खालिद सैफी को दंगों के लिए सिंगापुर से पैसे भेजे गए थे जो खालिद के अकाउंट में ट्रांसफर हुए थे। बता दें कि खालिद मेरठ के रहने वाले अपने पार्टनर के साथ एनजीओ चलाता है। तफ्तीश के मुताबिक खालिद सैफी ने फंड जुटाने के लिए कई देशों का दौरा किया था और जाकिर नाईक से भी मिला था। इशरत जहां और खालिद सैफी को सिंगापुर और सऊदी अरब से मिले पैसों की जांच की जा की जा रही है।
दिल्ली दंगों के दो आरोपियों की जमानत याचिका खारिज
स्पेशल सेल द्वारा दिल्ली दंगों के 15 आरोपितों के खिलाफ दायर आरोप पत्र पर कड़कडड़ूमा अदालत में सुनवाई हुई। अदालत ने दिल्ली दंगों के दो आरोपित बदरुल हसन और मुहम्मद इब्राहीम की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने टिप्पणी की कि तलवार हाथ में लेकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं मिलती है। अदालत ने कहा कि आरोपितों ने दंगों के दौरान जो किया उसे माफ नहीं किया जा सकता। पुलिस की ओर से कहा गया कि दोनों आरोपितों के खिलाफ पुख्ता सबूत हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत में ताहिर हुसैन, पिंजरा तोड़ संगठन के सदस्यों व अन्य सभी की पेशी हुई। अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि सभी आरोपितों को आरोप पत्र की कॉपी दी जाए। गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत गिरफ्तार छात्रा गुलफिशा फातिमा ने अदालत से कहा जेल में उसके साथ धार्मिक भेदभाव किया जा रहा है। मानसिक तौर पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाते हुए कहा कि जेल के अधिकारी और कर्मचारी उसे शिक्षित आतंकवादी कहते हैं, उसपर सामूहिक रूप से कत्लेआम कराने का आरोप लगाया जाता है। इन सबसे आहत होकर अगर वह जेल में खुद को कोई नुकसान पहुंचाती है तो इसका जिम्मेदार जेल प्रशासन होगा। अदालत ने गुलफिशा का पक्ष सुनने के बाद कहा वह अपने वकील के जरिये निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार अदालत में याचिका दायर करे।