आंखों में नमी दर्द लबों पर: 20 दिन पहले इस लड़के को मौत खींच लाई दिल्ली

Edited By Anil dev,Updated: 11 Dec, 2019 11:25 AM

delhi anil kumar rahul

घर से भागकर दिल्ली आया था पता नहीं था कि दुनिया छोड़कर ही चला जाएगा ... यह शब्द एक ऐसे पिता का था, जिसके पास बेटे की खबर तो आई लेकिन उनके पैरों तले की जमीन ही खिसक गई। दरअसल, यूपी के संत कबीर नगर निवासी राहुल घर से भागकर दिल्ली चला आया था। मृतक के...

नई दिल्ली: घर से भागकर दिल्ली आया था पता नहीं था कि दुनिया छोड़कर ही चला जाएगा ... यह शब्द एक ऐसे पिता का था, जिसके पास बेटे की खबर तो आई लेकिन उनके पैरों तले की जमीन ही खिसक गई। दरअसल, यूपी के संत कबीर नगर निवासी राहुल घर से भागकर दिल्ली चला आया था। मृतक के बड़े चाचा अनिल कुमार के मुताबिक करीब 15-20 दिन पहले वह अपने परिजनों को बिना बताए दिल्ली भागकर आ गया था। 

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वह अपने दोस्तों की तरक्की देखकर प्रेरित था और यही वजह रही कि उसने ऐसा कदम उठा लिया। वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए भागकर आ गया और अपने दोस्त के पिता के पास पहुंच गया। काम की तलाश की और फिर अनाज मंडी स्थित एक कारखाने में नौकरी करने लगा। चाचा के मुताबिक राहुल एक होनहार छात्र भी था और 12वीं तक की पढ़ाई भी पूरी कर ली थी। राहुल पढ़ाई के साथ एक बेहतर चित्रकार भी था। वह अक्सर कागज पर अपनी कल्पना को उकेरा करता था। परिजन यह उसकी की गई चित्रकारी देखकर बेहद हैरान रह जाते थे। दोस्तों के बीच भी उसकी इस कला की बेहद तारीफ होती थी। 

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आंखों में नमी...दर्द लबों पर...
मौलाना आजाद शवगृह (मोर्चरी) के बाहर लोगों की मौजूदगी उनके गम और दर्द के हालात बयां कर रही थी। यहां पहुंचे लोग अनाज मंडी अग्निकांड में कालकवलित हुए लोगों के परिजन थे। आंखों में नमी और सीने में दर्द दबाए अपने प्रियजनों के पार्थिव शरीर को लेने आए परिजन बेहद गमगीन थे। अचानक शवगृह का दरवाजा खुला तो बाहर इंतजार करते परिजनों की भीड़ जमा हो जाती है। मुलाजिम जिसका नाम पुकारता, परिजन शवगृह के अंदर जाते रहे तो कुछ अपनी बारी आने का इंतजार करते रहे। सिलसिला देर शाम तक जारी रहा।


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17 में से 14 शव उनके गृहनगर रवाना 
 मंगलवार को 17 में से 14 शवों को पोस्टर्माटम के बाद उनके परिजनों को सौंपकर एंबुलेंस के जरिए उनके गांव रवाना कर दिया गया। शवों के पोस्टर्माटम का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। जैसे-जैसे परिजन शवगृह पहुंचते रहे और उनकी बारी आती रही, शव उनके हवाले करने की प्रक्रिया चलती रही। खबर लिखे जाने तक 17 में से तीन शवों का पोस्टमार्टम नहीं किया जा सका था। तीनों मृतक बिहार के बताए गए हैं। तीनों के परिजन दिल्ली नहीं पहुंच पाए, जिसके कारण प्रक्रिया लंबित रह गई। पुलिस के मुताबिक परिजनों ने रास्ते में होने और बुधवार सुबह तक आने की जानकारी दी है।  

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मौत की खबर सुनकर बुआ भी चल बसीं
बिहार के सहरसा निवासी राशिद (14) की मौत की खबर जैसे ही उसकी बुआ को मिली, वह इस सदमे को बर्दाश्त न कर सकी और उनका भी इंतकाल हो गया। राशिद के शव को लेने दिल्ली आए पिता शमशेर आलम ने नम आंखों से इसकी जानकारी दी। पिता के मुताबिक राशिद पूरे परिवार का लाडला था। उसकी मौत के बाद परिवार के सभी सदस्य हंसना भूल गए हैं। उन्होंने बताया कि वह दिल्ली शव लेने आए हैं तो दूसरी ओर परिवार में एक और घटना हो गई। उन्होंने कहा कि इस अग्निकांड ने उनके पूरे परिवार को गहरा जख्म दिया है। जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। उन्होंने बताया कि राशिद अपने गांव के ही जाहिद के साथ काम खीखने के ख्याल से दिल्ली आया था। इस घटना में जाहिद की भी मौत हो चुकी है। 

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