वायु प्रदूषण को लेकर केन्द्र और दिल्ली सरकार के बीच बयानबाजी शुरु, केजरीवाल बोले- राजनीति ना करें

Edited By Anil dev,Updated: 15 Oct, 2020 03:16 PM

delhi arvind kejriwal prakash javadekar

दिल्ली की दमघोटू आबोहवा को लेकर गुरुवार को केंद्र और दिल्ली सरकार में फिर बयानबाजी शुरु हो गई। यह बयानबाजी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के उस बयान पर शुरु हुई जिसमें उन्होंने कहा है कि दिल्ली में पराली की वजह से सिफर् चार प्रतिशत प्रदूषण...

नई दिल्ली: दिल्ली की दमघोटू आबोहवा को लेकर गुरुवार को केंद्र और दिल्ली सरकार में फिर बयानबाजी शुरु हो गई। यह बयानबाजी केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के उस बयान पर शुरु हुई जिसमें उन्होंने कहा है कि दिल्ली में पराली की वजह से सिफर् चार प्रतिशत प्रदूषण होता है, शेष प्रदूषण यहां की ही स्थानीय समस्याओं के कारण होता है।

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मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसके जवाब में कहा है कि बार-बार इनकार करने से कुछ नहीं होगा. अगर पराली जलने से सिर्फ चार फीसदी प्रदूषण हो रहा है तो फिर अचानक रात में ही कैसे प्रदूषण फैल गया? उससे पहले तो हवा साफ थी। यही कहानी हर साल होती है। कुछ ही दिनों में दिल्ली में प्रदूषण को लेकर ऐसा कोई उछाल नहीं हुआ है?  केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा ,' इस बात को मानना पड़ेगा कि हर वर्ष उत्तर भारत में पराली जलने की वजह से प्रदूषण फैलता है और इसके निदान के लिए हमें साथ में मिलकर लड़ना होगा। राजनीति करने और एक दूसरे पर आरोप लगाने से कुछ हासिल नहीं होगा, लोगों को नुकसान हो रहा है। 
 

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दिल्ली के प्रदूषण का 96 फीसदी स्थानीय कारकों से: जावडेकर 
इससे पहले पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने आज कहा कि दिल्ली के प्रदूषण 96 फीसदी स्थानीय कारकों से और मात्र चार फीसदी पराली के कारण है।  जावडेकर ने दिल्ली समेत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण के लिए गठित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दस्तों को अपने आवास से रवाना करने से पहले यह बात कही। सीपीसीबी के 50 दस्ते दिल्ली-एनसीआर के शहरों में प्रदूषण की निगरानी करेंगे और प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कारर्वाई करेंगे। हर दल में एक वैज्ञानिक और अन्य कर्मचारी हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सर्दियों के मौसम में दिल्ली में हमेशा प्रदूषण की समस्या गंभीर हो जाती है। 

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इसमें हिमालय की ठंडी हवा, गंगा के मैदानों में बनने वाली नमी, हवा की धीमी रफ्तार, स्थानीय स्तर पर निर्माण कार्य के दौरान बनने वाली धूल, सड़क किनारे की धूल, वाहनों से निकलने वाला धुआँ, लोगों द्वारा खुले में कूड़ा जलाया जाना, आसपास के राज्यों में किसानों द्वारा पराली जलाया जाना आदि कई कारक हैं। उन्होंने कहा कि आज दिल्ली के प्रदूषण में पराली का योगदान मात्र चार प्रतिशत है। शेष 96 फीसदी प्रदूषण स्थानीय कारकों की वजह से है। हालांकि इसके बावजूद उन्होंने पराली जलाने की घटनाओं को रोकने को लेकर पंजाब की कांग्रेस सरकार को कड़े शब्दों में हिदायत दी। उन्होंने कहा पंजाब सरकार को ध्यान देना चाहिये कि वहाँ पराली ज्यादा न जले। पंजाब सरकार तुरंत हरकत में आये ताकि पराली कम जले। इससे राज्य के लोगों को भी परेशानी होती होगी।


 

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