26 सालों का लंबा सफर... अभी और कितना चलना होगा?

Edited By Anil dev,Updated: 20 Jul, 2019 11:17 AM

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आगामी 6 माह में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को देखते हुए कच्ची कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को अपने मकान का मालिकाना हक मिलने एवं इन कॉलोनियों में जल्द रजिस्ट्री प्रारम्भ करने की घोषणा की है।

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आगामी 6 माह में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव को देखते हुए कच्ची कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को अपने मकान का मालिकाना हक मिलने एवं इन कॉलोनियों में जल्द रजिस्ट्री प्रारम्भ करने की घोषणा की है। पर, सच्चाई यह भी है कि जब-जब चुनाव आता है, अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का मुद्दा जोर शोर से उठाया जाता है और चुनाव समाप्त होते ही ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। 

सुप्रीम कोर्ट से संस्तुति लेनी होगी
दिल्ली नगर निगम में निर्माण संबंधी मामलों की समिति के पूर्व चेयरमैन जगदीश ममगाई ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि पिछले 5 दशकों में अनियमित कॉलोनियों के निमित्त कई नीतियां बनी एवं निर्णय हुए, जिन्हें समय-समय पर लागू किया गया। चूंकि सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली भूमि उपयोग पर एमसी मेहता बनाम भारत संघ की 29 अगस्त 2000 को दायर याचिका प्रक्रियाधीन है और इस दिशा-निर्देशों को सुप्रीम कोर्ट से भी संस्तुति प्राप्त थी। इसके बावजूद इन दिशा-निर्देशों को लागू कर एक भी कॉलोनी केन्द्र व राज्य सरकार के प्रयास से नियमित नहीं हुई। ऐसे में नए सिरे से फिर दिशानिर्देश तैयार करने का औचित्य क्या है? 

कब-कब क्या हुआ
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पूर्व 6 मार्च 2019 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की आखिरी केंद्रीय कैबिनेट द्वारा दिल्ली में स्वामित्व या हस्तांतरण अधिकारों को प्रदान करने के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया की सिफारिश करने के लिए उपराज्यपाल की अध्यक्षता में एक 10 सदस्य समिति का गठन किया था। 29 दिसम्बर 2014 को भी दिल्ली विधानसभा चुनाव को नजर में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कैबिनेट ने 2000 अनधिकृत कॉलोनियों के नियमितिकरण की घोषणा की थी।

वर्ष 2012 में भी कॉलोनियों को नियमित करने की अधिसूचना केन्द्र सरकार द्वारा जारी हुई थी, वर्ष 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव था। दिसम्बर 2008 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से दो माह पहले ही अक्तूबर 2008 में तत्कालीन दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने के नाम पर छत्रसाल स्टेडियम में सोनिया गांधी के हाथों अंतरिम प्रोविजनल प्रमाण पत्र वितरित कराए थे। 

अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक नवम्बर 2015 तक निर्मित अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित किए जाने की घोषणा की है लेकिन क्या दिल्ली सरकार के पास 1 नवम्बर 2015 तक निर्मित कॉलोनियों की वैधानिक जानकारी है। क्या उन्होंने इसके निमित्त कोई सर्वे कराया है? क्या कॉलोनियों की हदबंदी (बाउंड्री) की गई है? 

यमुना किनारे लगातार बढ़ रहीं अनधिकृत कॉलोनियां
अनधिकृत कॉलोनियों का दायरा 2015 तक वैध किये जाने के नियम की घोषणा के बाद भले ही सरकारी आंकड़ों में यह संख्या बढ़कर सिर्फ 1797 तक ही पहुंची हुई दिख रही है। लेकिन माना जा रहा है कि सर्वे-सीमांकन में यह संख्या बढ़ सकती है। नौबत यह है कि दिनो-दिन सरकारी भूमि पर अवैध निर्माण जोरों पर है और लगातार सरकारी भूमि पर कब्जा भी हो रहा है। इसमें यमुना को भी नहीं बख्शा जा रहा है। बताया जाता है कि करीब डेढ़ हजार एकड़ भूमि अकेले डीडीए की कब्जाग्रस्त है। लगभग इससे दोगुनी भूमि दिल्ली सरकार के सिंचाई व अन्य विभाग की कब्जा में फंसी हुई है। 

भले ही ओ-जोन वाले क्षेत्र में शुमार यमुना के आस-पास किसी तरह के निर्माण की मंजूरी नहीं है। लेकिन शाहीन बाग के समीप चालीस फुटा रोड पर इस कदर अवैध निर्माण हो रहा है कि दूर से देखने पर यमुना की तलहटी ही नजर नहीं आती है। यह कारनामा सिर्फ एक हिस्से में ही नहीं बल्कि कालिंदी कुंज, सोनिया विहार, तुगलकाबाद, पूर्वी दिल्ली, उत्तरी दिल्ली के यमुना के आस-पास के विभिन्न इलाकों में धड़ल्ले से हो रहा है। नौबत यह है कि अवैध निर्माण करने का दायरा यमुना के दायरे को भी संकुचित कर रहा है। ऐसा करने वालों ने हाल ही में डीडीए में यह दावा भी किया कि वह वर्षों से इस जमीन पर रहते आए हैं, इसलिए ओ-जोन के क्षेत्र का फिर से सीमांकन हो। अबुल फजल एंक्लेव के समीप भी कुछ इसी तरह की हरकतें जोरों पर है। 

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