Edited By Anil dev,Updated: 18 Apr, 2018 10:54 AM
एक तरफ 26 वर्षीय जवान बेटे की मौत से एक घर में मातम पसरा था लेकिन दूसरी ओर तीन घरों के चिराग बुझने से बच गए। एक मां ने अपना बेटा तो खो दिया लेकिन उसके एक साहसिक और बेहतर फैसले ने तीन लोगों की जिंदगी बदल दी। 26 वर्षीय आशुतोष सड़क दुर्घटना में बुरी...
नई दिल्ली : एक तरफ 26 वर्षीय जवान बेटे की मौत से एक घर में मातम पसरा था लेकिन दूसरी ओर तीन घरों के चिराग बुझने से बच गए। एक मां ने अपना बेटा तो खो दिया लेकिन उसके एक साहसिक और बेहतर फैसले ने तीन लोगों की जिंदगी बदल दी। 26 वर्षीय आशुतोष सड़क दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गया था। अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे बचाने की जी तोड़ कोशिश की लेकिन आखिरकार भारी मन से उन्हें मरीज को ब्रेन डेड घोषित करना पड़ा। मौके पर मौजूद युवक की मां ने दरियादिली दिखाते हुए तत्काल बेटे के अंगदान का फैसला किया।
कंपनी के साथ इंटर्नशिप कर रहा था आशुतोष
एमबीए का छात्र आशुतोष शर्मा दिल्ली की एक कंपनी के साथ इंटर्नशिप कर रहा था। 7 अप्रैल को ऑफि स जाते समय उसके साथ एक दुर्घटना घटी, उसे बेहद गंभीर हालत में इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। 12 अप्रैल को उसकी ब्रेन स्टैम रिफ लेक्स एक्टिविटी बंद हो गई। हर संभव कोशिश के बाद 15 अप्रैल को आशुतोष को ब्रेन डैड घोषित कर दिया गया। आशुतोष की मां ने उसका दिल, लीवर और दोनों गुर्दे (किडनी) दान में देने का फैसला लिया। डॉ. दास के नेतृत्व में टीम ने हार्ट ट्रांसप्लान्ट की मुश्किल सर्जरी की, जिसमें चार घंटे लगे। जबकि लीवर और किडनी ट्रांसप्लान्ट डॉ. नीरव गोयल और डॉ. एस एन मेहता के नेतृत्व में किए गए। एक किडनी नेशनल ओर्गेन एण्ड टिश्यू ट्रांसप्लान्ट ओर्गेनाइजेशन के माध्यम से किसी अन्य अस्पताल को भेज दी गई।