Edited By Anil dev,Updated: 31 Jan, 2020 10:33 AM
दिल्ली विधानसभा चुनावों में शराब का ‘खेल’ भी खूब चल रहा है। चुनाव में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए शराब की तस्करी करने वाले तस्करों को क्राइम ब्रांच पकड़ रही है लेकिन शराब वोटरों तक फिर भी पहुंच ही जाती है। दिल्ली चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों...
नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनावों में शराब का ‘खेल’ भी खूब चल रहा है। चुनाव में मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए शराब की तस्करी करने वाले तस्करों को क्राइम ब्रांच पकड़ रही है लेकिन शराब वोटरों तक फिर भी पहुंच ही जाती है। दिल्ली चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के तहत शराब, पैसे और गिफ्ट बांटने वाले लोगों पर पैनी नजर रखी जा रही है। इसके बावजूद करोड़ों रुपए की अवैध शराब बरामद हो रही है। क्वार्टर के लिए ‘बच्चा’, हाफ के लिए ‘बाप’ और बोतल के लिए ‘मां’ कोडवर्ड रखे गए हैं। यही नहीं, ठेके को ‘मंदिर’, शराब को ‘प्रसाद’ व ‘दवाई’ कोडवर्ड रखे गए हैं। चुनाव आयोग व दिल्ली पुलिस की सख्ती के बावजूद शराब बांटने के नए-नए रास्ते खोज लिए गए हैं जिसमें सबसे ज्यादा व्हाट्सएप का सहारा लिया जा रहा है क्योंकि ट्रेस न हो पाने के कारण यह सबसे सुरक्षित माना जाता है।
ठेकों पर चल रहा है पर्ची सिस्टम
शराब को स्टॉक करने से बचने व चुनाव आयोग या संबंधित विभागों के छापे के डर के कारण यह नया नुक्ता अपनाया जा रहा है। किसी विश्वसनीय शख्स को यह जिम्मेदारी दी जाती है कि वह ठेके वाले को पर्ची बना कर दे, पर्ची लेकर आने वाले को ठेका संचालक उतनी शराब दे देता है। शाम को या अगले दिन उसको पैसे दे दिए जाते हैं।