दिल्ली विधानसभा चुनाव: स्थानीय मुद्दों को दरकिनार करने पर BJP को मिली हार

Edited By Anil dev,Updated: 14 Feb, 2020 10:48 AM

delhi assembly elections bjp narendra modi amit shah

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई है। भाजपा का वोट प्रतिशत और सीटें तो पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में बढ़ गई इैं लेकिन 2 दशक से ज्यादा समय से सरकार बनाने का इंतजार कर रही पार्टी का सपना फिर टूट गया। अब उसे 5 साल और इंतजार करना...

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई है। भाजपा का वोट प्रतिशत और सीटें तो पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में बढ़ गई इैं लेकिन 2 दशक से ज्यादा समय से सरकार बनाने का इंतजार कर रही पार्टी का सपना फिर टूट गया। अब उसे 5 साल और इंतजार करना पड़ेगा। इस चुनाव में भाजपा ने आम आदमी पार्टी की तुलना में स्थानीय मुद्दों को दरकिनार कर राष्ट्रीय मुद्दों को उठाया, लेकिन राष्ट्रीय मुद्दे भाजपा को उलटे पड़ गए। आम आदमी पार्टी बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, ट्रांसपोर्ट जैसे स्थानीय मुद्दों को लेकर चुनाव में उतरी और उसे बंपर सीटें मिलीं। हालांकि भाजपा ने अनधिकृत कालोनियों में रजिस्ट्री और चुनाव में विजयी होने पर गरीब छात्राओं को ई-स्कूटी व साइकिल मुफ्त देने का ऐलान तो किया था, लेकिन यह फार्मूला भी चुनाव में सही तरह से लोगों के बीच पहुंचाने में नाकाम रही है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अनधिकृत कालोनियों के नियमितिकरण के मुद्दे से भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए रामलीला मैदान में आभार रैली भी की थी। इसमें 11 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर सौंपे गए थे। 

PunjabKesari


अमित शाह-मनोज तिवारी के दावों की हवा निकली
दिल्ली विधानसभा चुनाव के मतदान से पूर्व गृहमंत्री अमित शाह एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने 45 से 48 सीटें भाजपा के जीतने का दावा किया था। आखिरी समय पर पार्टी इसी दावे पर डटी रही। मतदान के दिन एग्जिट पोल में आम आदमी पार्टी की सरकार बनती दिखाई गई थी, जिसे भाजपा ने इग्रोर कर दिया। मतगणना के दिन भी दोपहर तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मानने को तैयार नहीं थे और बार-बार यही कहते रहे कि भाजपा को अच्छा रिजल्ट मिलेगा, लेकिन दिल्ली के नतीजों ने शाह और तिवारी दोनों के दावों को गलत साबित कर दिया। साथ ही दोनों नेता मतदाताओं की नब्ज पढऩे में एक तरह से विफल भी रहे।

PunjabKesari


दिल्ली चुनाव के बाद एक सवाल उठता है कि क्या भाजपा नेतृत्व ने दिल्ली के वोटरों की मानसिकता को न समझकर एक गलत अभियान की योजना बनाई। आक्रामक अभियान का इस्तेमाल किया गया ताकि भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ सके और केजरीवाल के वोट बैंक में सेंध लग सके, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अरविंद के जरीवाल की पार्टी को बंपर सीटें मिलीं। अब भाजपा आत्मचिंतन और समीक्षा की बात कर रही है। ऐसे में सवाल उठता है इस बुरी हार के लिए कौन जिम्मेदार होगा। हालांकि तिवारी ने हार की जिम्मेदारी अपने सिर पर लेते हुए इस्तीफे की पेशकश भी कर डाली है, लेकिन अब देखना होगा कि भाजपा इस करारी हार के लिए किसे बलि का बकरा बनाती है।

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!