Edited By shukdev,Updated: 11 Jun, 2019 01:02 AM
लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर भाजपा ने शानदार जीत हासिल की है। वहीं दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटों पर काबिज आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता आम चुनावों में संसदीय सीटों के अंतर्गत आते विधानसभा हलकों में कहीं पर भी जीत...
नई दिल्ली : लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर भाजपा ने शानदार जीत हासिल की है। वहीं दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटों पर काबिज आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता आम चुनावों में संसदीय सीटों के अंतर्गत आते विधानसभा हलकों में कहीं पर भी जीत हासिल करवा पाने में असफल रहे हैं। इन बदलते सियासी समीकरणों के चलते दिल्ली विधानसभा के चुनाव अक्तूबर में होने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। आम आदमी पार्टी सहित दूसरी राजनीतिक पार्टियों ने दिल्ली विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। ‘आप’ के वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा ने कहा है कि यह मानते हुए कि अक्तूबर के आसपास कभी भी चुनाव हो सकते हैं, पार्टी ने ‘बैक-टू-बेसिक्स’ दृष्टिकोण अपनाया है। चड्ढा ने कहा, ‘मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में, हमने पूरे दिल्ली में डोर-टू-डोर अभियान शुरू कर दिया है।’
‘आप’ के संयोजक व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्वयं अपने निवास पर विधायकों व निगम पार्षदों की बैठक में साफ कर चुके हैं कि हमारे काम रुकवाने के लिए केंद्र सरकार दिल्ली विधानसभा चुनाव अक्तूबर में करा सकती है। दिल्ली कांग्रेस के प्रवक्ता जितेंद्र कुमार कोचर ने कहा कि यदि समय से पहले चुनाव होते हैं तो कांग्रेस इसके लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक हई, जिसके बाद हमें पता चला कि अक्तूबर में चुनाव हो सकते हैं। कांग्रेस ने शनिवार को घोषणा की कि उसके कार्यकर्ता दिल्ली सरकार द्वारा ‘लोगों के साथ विश्वासघात’ पर सार्वजनिक आंदोलन शुरू करेंगे।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि उनकी पार्टी मैदान में उतर रही है, बस चुनाव पहले से तय हैं। तिवारी ने कहा, ‘हम लोगों से हमें मौका देने के लिए कह रहे हैं। हम ‘आप’ के झूठे वादों और सरकार चलाने में उसकी विफलता को उजागर कर रहे हैं।’ समय पूर्व चुनावी चर्चा 31 मई को शुरू हुई जब ‘आप’ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इस बात की जोरदार चर्चा है कि दिल्ली मेें इस साल अक्तूबर में अन्य राज्यों जैसे महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के साथ चुनाव हो सकते हैं।
13 फरवरी 2020 तक कार्यकाल
चर्चा है कि विधानसभा के कार्यकाल की समाप्ति से 4 महीने पहले चुनाव आयोग दूसरे राज्यों के साथ-साथ अक्तूबर में दिल्ली चुनाव कराएगा। क्या चुनाव आयोग ऐसा कर सकता है? क्या चुनाव आयोग विधिवत निर्वाचित विधानसभा की अवधि को रोक सकता है? ‘आप’ सरकार का 5 साल का कार्यकाल 13 फरवरी, 2020 को पूरा हुआ।
नियम क्या कहते हैं?
जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 15 के अनुसार, जो संसदीय और विधानसभा चुनावों के लिए दिशा-निर्देश देता है, विधानसभा की अवधि समाप्त होने से 6 महीने पहले एक अधिसूचना जारी की जा सकती है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस.वाई. कुरैशी ने बताया कि चुनाव आयोग सरकार के कार्यकाल पूरा होने के 6 महीने पहले तक चुनाव करवा सकता है। आम तौर पर विभिन्न राज्यों के चुनाव एक विशेष अवधि के आसपास होते हैं।
हाल ही के प्रदर्शन
भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के तहत ‘आप’ 2013 में राजनीति में प्रवेश किया और 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में 28 सीटें जीतीं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का पहला कार्यकाल कांग्रेस के बाहरी समर्थन के साथ केवल 49 दिन चला था, जब उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। दिल्ली में मतदान में देरी हुई और 2014 में लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 7 सीटें जीतीं। 2015 में, ‘आप’ ने विधानसभा चुनावों में वापसी की और 67 सीटें जीतीं। 2019 में आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा ने दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटें जीत लीं। भाजपा ने 2014 के मुकाबले अपने वोट शेयर में 47 प्रतिशत से 56.6 प्रतिशत की बढ़ौतरी दर्ज की लेकिन भाजपा 2015 के अपने अनुभव को दोहराना नहीं चाहती है। 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद दिल्ली विधानसभा के हुए चुनावों में ‘आप’ ने शानदार जीत दर्ज की थी। इसलिए भाजपा इन विधानसभा चुनावों में ‘आप’ को चुनने का मौका नहीं लेना चाहती है। तिवारी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं, जबकि मुख्यमंत्री ने दिल्ली के लोगों को निराश किया है जो उन्हें विधानसभा चुनाव में सबक सिखाएंगे।’
‘आप’ की चिंता ?
2015 के विधानसभा चुनावों में ‘आप’ का वोट प्रतिशत 54 प्रतिशत था, जो 2017 के नगरपालिका चुनावों में घटकर 26.2 प्रतिशत रह गया। 2014 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले 2019 में ‘आप’ वोट शेयर 18.1 प्रतिशत रह गया जोकि 2014 में 33.1 प्रतिशत था। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों के वोट शेयर को देखा जाए तो ‘आप’ दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 65 भाजपा के हाथों हार रही है लेकिन केजरीवाल बहादुरी के साथ इसका सामना करने की कोशिश कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव की घोषणा के एक दिन बाद ही उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए मतदान का बिगुल फूंक दिया था। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से कहा है कि वे निराश न हों और लोगों के पास वापस जाएं और उन्हें बताएं कि ‘बड़ा चुनाव’ (लोकसभा) खत्म हो गया था और ‘छोटा चुनाव’ (विधानसभा) जल्द होने जा रहा है। लोगों तक यह संदेश पहुंचाएं कि वे ‘अपनी गलती को सुधारेंगे’। उन्होंने अपने मंत्रियों से कहा है कि वे ‘आप’ सरकार की सभी प्रमुख योजनाओं को फास्ट ट्रैक पर रखें। केजरीवाल ने शनिवार को कहा, ‘हम उन जगहों की पहचान कर रहे हैं, जहां लोगों को बिजली या पीने का पानी नहीं मिलता है। मैं सुनिश्चित करूंगा कि इन समस्याओं का समाधान हो जाए।’