Edited By rajesh kumar,Updated: 18 Sep, 2024 03:54 PM
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे पत्र में मनोनीत मुख्यमंत्री आतिशी के शपथ ग्रहण की तारीख 21 सितंबर प्रस्तावित की है। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि निवर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का...
नेशनल डेस्क: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे पत्र में मनोनीत मुख्यमंत्री आतिशी के शपथ ग्रहण की तारीख 21 सितंबर प्रस्तावित की है। सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि निवर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा भी मुर्मू को भेज दिया गया है।
हालांकि, सूत्रों ने बताया कि आप विधायक दल ने भावी मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह के लिए कोई तारीख प्रस्तावित नहीं की है। केजरीवाल ने मंगलवार को उपराज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने तब कहा था कि वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तभी बैठेंगे, जब जनता उन्हें ‘‘ईमानदारी का प्रमाणपत्र'' देगी। इसके बाद आतिशी ने राष्ट्रीय राजधानी में नई सरकार बनाने का दावा पेश किया। आतिशी (43) दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी। उनसे पहले भाजपा नेता सुषमा स्वराज और कांग्रेस की शीला दीक्षित इस पद पर रह चुकी हैं।
केजरीवाल के मार्गदर्शन में काम करूंगी- आतिशी
आतिशी ने विधायक दल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं अगले कुछ महीने तक एक ही लक्ष्य के साथ काम करूंगी कि केजरीवाल को फिर से मुख्यमंत्री पद पर बैठाया जाए। मैं अरविंद केजरीवाल के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री के रूप में काम करूंगी।'' दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल अगले साल 23 फरवरी को समाप्त होने वाला है और उसके मद्देनजर फरवरी की शुरुआत में चुनाव होने की उम्मीद है। हालांकि, केजरीवाल ने मांग की है कि महाराष्ट्र के साथ दिल्ली में भी नवंबर में चुनाव कराये जाएं।
दिल्ली के लोगों के हितों की रक्षा करूंगी- आतिशी
उपराज्यपाल से मुलाकात के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए आतिशी ने कहा, ‘‘हमने नई सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। मैं दिल्ली के लोगों के हितों की रक्षा करूंगी।'' मुख्यमंत्री नामित की गईं आतिशी ने दावा किया कि केजरीवाल पर झूठे आरोप लगाए गए हैं और केंद्र सरकार की जांच एजेंसियां उन्हें निशाना बना रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने न केवल उन्हें (केजरीवाल) जमानत दे दी, बल्कि केंद्र और उसकी जांच एजेंसियों के खिलाफ कठोर टिप्पणी भी की और उन्हें ‘पिंजरे में बंद तोता' बताया।'' आतिशी ने कहा, ‘‘कोई और नेता होता, तो वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बना रहता, लेकिन केजरीवाल ने जनता की अदालत में जाने का फैसला किया और इस्तीफा दे दिया।''