Edited By Seema Sharma,Updated: 14 Feb, 2020 09:19 AM
आम आदमी पार्टी (आप) से हार के बाद दिल्ली भाजपा के दो वरिष्ठ नेता-विजय गोयल और मनोज तिवारी चिंतित हैं। वहीं चिंतित होने के लिए दोनों के अलग-अलग कारण हैं। 7 लोकसभा सीटों में से भाजपा दोहरे अंकों के निशान को भी विधानसभा चुनाव में नहीं छू सकी और केवल 8...
नेशनल डेस्कः आम आदमी पार्टी (आप) से हार के बाद दिल्ली भाजपा के दो वरिष्ठ नेता-विजय गोयल और मनोज तिवारी चिंतित हैं। वहीं चिंतित होने के लिए दोनों के अलग-अलग कारण हैं। 7 लोकसभा सीटों में से भाजपा दोहरे अंकों के निशान को भी विधानसभा चुनाव में नहीं छू सकी और केवल 8 सीटों के साथ ही उसे सब्र करना पड़ा। इससे पहले भाजपा नेतृत्व ने पूर्वांचली मतदाताओं को लुभाने के लिए मनोज तिवारी को सामने किया, लेकिन वह उन्हें लुभाने में नाकाम रहे। वह इस बात पर तसल्ली कर सकते हैं कि भाजपा का वोट शेयर 2015 की तुलना में 2020 में 5 प्रतिशत बढ़कर 38 प्रतिशत हो गया है, लेकिन 27 पूर्वांचली सीटों में से 24 सीटों पर ‘आप’ ने जीतकर कब्जा जमा लिया है।
इससे उसे चिंता है कि दिल्ली भाजपा इकाई प्रमुख के पद पर बनाए रखने में क्या पार्टी नेतृत्व सक्षम होगा, हालांकि संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने तक वे पद पर बने रह सकते हैं, लेकिन संभावना कम लगती है। एम.सी.डी. चुनाव 2022 में 2 साल दूर हैं और भाजपा को अब अलग तरीके से सोचना पड़ सकता है। वहीं परवेश वर्मा की पश्चिम दिल्ली लोकसभा सीट पर भाजपा के हाथ विधानसभा में पूरी तरह से खाली रहे हैं और ऐसे में उसके सपने चकनाचूर हो गए। वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पसंदीदा हो सकते हैं, लेकिन समय बदल गया है और वह मतदाताओं को लुभाने में असमर्थ रहे हैं।
इसी तरह राजस्थान के राज्यसभा सांसद विजय गोयल भी चिंतित हैं कि उन्हें फिर से नामित किया जाएगा या नहीं। वह मोदी सरकार में भी मंत्री थे। उनका राज्यसभा कार्यकाल 2 अप्रैल को समाप्त हो रहा है और दोबारा चुनावों के लिए उम्मीदवारों को 15 मार्च तक चुना जाएगा। राजस्थान में इस परिदृश्य को देखते हुए, भाजपा केवल एक राज्यसभा सीट जीत सकती है, जिसमें नारायणलाल पंचरिया के चुने जाने की संभावना है। वह प्रधानमंत्री मोदी के करीबी माने जाते हैं और राजस्थान के रहने वाले हैं। राज्यसभा की 3 सीटें हैं, जिनमें से भाजपा केवल एक सीट जीत पाएगी।
इस प्रकार, उसे अब राज्यसभा सीट हथियाने के लिए अपनी उपयोगिता के बारे में उच्च कमान को मनाना होगा। उन्होंने चांदनी चौक सीट का प्रतिनिधित्व किया, जिसका प्रतिनिधित्व अब डॉ. हर्षवर्धन करते हैं। वे दोनों भी चांदनी चौक लोकसभा सीट के अधीन एक भी विधानसभा सीट जीतने में असफल रहे। इससे दिल्ली भाजपा के नेता चिंतित हैं।