1984 सिख विरोधी दंगे: पीड़ितों ने कहा फैसले के बाद उडऩे वाली है सज्जन कुमार, टाइटलर की नींद

Edited By Anil dev,Updated: 21 Nov, 2018 12:36 PM

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दिल्ली की एक अदालत द्वारा 1984 के सिख विरोधी दंगे मामले में यशपाल सिंह को सुनाई गई फांसी की सजा तिलक नगर की विधवा कॉलोनी के निवासियों के लिए उम्मीद की किरण’’ बनकर आई है जिन्हें अब कांग्रेस नेताओं सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर जैसे बड़े नामों को...

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत द्वारा 1984 के सिख विरोधी दंगे मामले में यशपाल सिंह को सुनाई गई फांसी की सजा तिलक नगर की विधवा कॉलोनी के निवासियों के लिए उम्मीद की किरण’’ बनकर आई है जिन्हें अब कांग्रेस नेताओं सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर जैसे बड़े नामों को सजा मिलने का इंतजार है। दिल्ली के महिपालपुर इलाके में सिख विरोधी दंगों के दौरान दो लोगों की हत्या के दोषी यशपाल को एक स्थानीय अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। इस मामले में यह पहली मौत की सजा है।

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नरेश सहरावत को सुनाई गई मौत की सजा 
मामले में दोषी करार दिए गए नरेश सहरावत को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। दंगे में पिता समेत अपने परिवार के 11 लोगों को गंवाने वाली गंगा कौर ने कहा, हम इस फैसले से निश्चित तौर पर खुश हैं। हां यह और अच्छा होता, अगर दूसरे व्यक्ति को भी फांसी की सजा मिलती। लेकिन फिर भी हम पूरे दिल से अदालत के फैसले का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा, वैसे भी यह सब छोटी मछलियां है। अब हम मगरमच्छ के फंसने का इंतजार कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि यह इसी सरकार के शासन में मुमकिन है।’’

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1984 के दंगों पर आए फैसले को मृतक के भाई ने सराहा  
वहीं वर्ष 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान महिपालपुर में दो युवकों की हत्या किए जाने के मामले में अदालत द्वारा दिए गए फैसले का मृतकों में से एक के भाई ने स्वागत करते हुए कहा, ‘‘पिछले 34 साल में ऐसा भी समय आया जब मैं खुद को खत्म करना चाहता था, लेकिन अदालत के फैसले के बाद न्यायपालिका में मेरा विश्वास बहाल हुआ है।’’ अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय पांडे ने मंगलवार को 1984 के दंगों के एक मामले में एक दोषी यशपाल सिंह को मौत की सजा और एक अन्य दोषी नरेश सहरावत को अपराध के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई है। दंगों के दौरान मारे गए एक युवक हरदेव सिंह के भाई संतोख सिंह की ओर से दायर याचिका के बाद गृह मंत्रालय द्वारा दिए आदेश पर वर्ष 2015 में मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया था।  संतोख सिंह ने इस फैसले को एक ‘‘तोहफा’’ बताया।     

 

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