दिल्ली चुनाव : अमित शाह ने अपने हाथ में ली अभियान की कमान

Edited By Pardeep,Updated: 28 Jan, 2020 06:12 AM

delhi elections amit shah took command of campaign in his hands

प्रधानमंत्री के लोकसभा में केंद्रीय बजट की प्रस्तुति के बाद 1 फरवरी से दिल्ली विधानसभा चुनाव में 5-6 रैलियों को संबोधित करने की संभावना है। वहीं पार्टी सूत्रों का मानना है कि लोगों की प्रतिक्रिया के आधार पर रैलियों की संख्या बढ़ाई या कम की जा...

नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री के लोकसभा में केंद्रीय बजट की प्रस्तुति के बाद 1 फरवरी से दिल्ली विधानसभा चुनाव में 5-6 रैलियों को संबोधित करने की संभावना है। वहीं पार्टी सूत्रों का मानना है कि लोगों की प्रतिक्रिया के आधार पर रैलियों की संख्या बढ़ाई या कम की जा सकती है। इसके साथ ही भाजपा ने दिल्ली चुनाव में अपना पूरा दम लगा दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूरे अभियान को अपने हाथों में ले लिया है और यहां तक कि वे सड़क के किनारे की बैठकों को संबोधित कर रहे हैं और एक साथ घंटों तक व्यक्तिगत रूप से रोड शो कर रहे हैं। ऐसा उन्होंने लोकसभा चुनावों में भी नहीं किया था। 
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भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को भी रैलियों के आयोजन का काम सौंपा गया है, भले ही रैलियों में भीड़ कितनी भी हो। नड्डा दिल्ली विधानसभा चुनाव के पीछे अपना पूरा समय दे रहे हैं। इतना ही नहीं, दोनों नेता अमित शाह और जे.पी. नड्डा कल राष्ट्रपति भवन में सबसे महत्वपूर्ण एट होम में शामिल नहीं हुए। राष्ट्रपति ने दोनों को गणतंत्र दिवस समारोह में आमंत्रित किया था, लेकिन दोनों ने अनुष्ठान में भाग लेने की बजाय परेड के बाद दिल्ली में प्रचार करने का विकल्प चुना। दिल्ली को 10 क्षेत्रों में विभाजित किया गया है और सभी वरिष्ठ नेताओं को लोगों को वोट देने के लिए जुटाने पर ध्यान केंद्रित करने का काम सौंपा गया है। पार्टी पी.एम. की रैलियों के लिए जमीन तैयार करना चाहती है और पूरी तरह से उनके करिश्मे और लोकप्रियता के आधार पर बैंक बनाना चाहती है। 
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अमित शाह ने मुख्यमंत्री पद के लिए किसी को भी प्रोजैक्ट किए जाने की अनुमति नहीं दी है। इतना ही नहीं, भाजपा नेतृत्व ने मनोज तिवारी, गौतम गंभीर, मीनाक्षी लेखी, विजय गोयल और सांसदों को मैदान में उतारने की अपनी योजना को छोड़ दिया। नेतृत्व को लगा कि अगर मोदी के नाम पर चुनाव लडऩा है, तो विधानसभा के लिए चुनाव लड़ने के लिए सांसदों को क्यों आगे रखा जाए?
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इसी तरह ‘आप’ व कांग्रेस से लडऩे के लिए पार्टी ने कई नए चेहरों को चुना। जैसे कि अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नए चेहरे सुनील यादव को उतार सीनियर्स ने दिखाया कि उन्हें स्थानीय चुनावों की कोई आवश्यकता नहीं है। दरअसल, विजय जौली, आरती मेहरा, अजय मल्होत्रा दिल्ली के पूर्व मुख्य महानगर पार्षद विजय कुमार मल्होत्रा के बेटे, मदनलाल खुराना के बेटे हरीश खुराना, सुधांशु मित्तल को प्रतियोगिता की बजाय प्रचार करने के लिए कहा गया था।

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