अच्छी खबर: प्लाज्मा थैरेपी से ठीक हुआ दिल्ली का पहला कोरोना मरीज, 4 दिन में हुआ रिकवर

Edited By Seema Sharma,Updated: 21 Apr, 2020 10:58 AM

delhi first corona patient cured with plasma therapy

देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 18 हजार के पार चली गई है और 590 लोगों की मौत हो चुकी है। इस कोरोना से निपटने के लिए अबी कोई वैक्सीन नहीं बनी है लेकिन फिर भी भारत समेत दुनिया के कई देश इसके इलाज के लिए अलग-अलग दवाइयों को इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत...

नेशनल डेस्कः देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 18 हजार के पार चली गई है और 590 लोगों की मौत हो चुकी है। इस कोरोना से निपटने के लिए अबी कोई वैक्सीन नहीं बनी है लेकिन फिर भी भारत समेत दुनिया के कई देश इसके इलाज के लिए अलग-अलग दवाइयों को इस्तेमाल कर रहे हैं। भारत में भी मलेरिया की दवा से संक्रमितों का इलाज हो रहा है हीं अब देश में प्लाज्मा थैरेपी का भी इस्तेमाल हो रहा है। प्लाज्मा थैरेपी से दिल्ली के साकेत स्थित मैक्स अस्पताल से एक मरीज के ठीक होने की खबर है। मैक्स अस्पताल के प्रबंधन ने बताया कि उनके यहां दिल्ली का एक मरीज भर्ती है, जो पहले बेहद गंभीर स्थिति में था लेकिन प्लाज्मा थैरेपी से उसका इलाज करने पर वह बहुत तेजी से रिकवर कर रहा है।

 

अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि 49 साल के यह शख्स 4 अप्रैल को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया था और उसे अस्पताल में भर्ती किया गया। हालांकि शुरुआत में वह कोरोना के संक्रमण के मध्यम स्तर से गुजर रहा था लेकिन कुछ दिन बाद उसकी हालत गंभीर होने लग गई। उसे टाइप-1 रेस्पिरेटरी फेल्योर के साथ न्यूमोनिया हो गया। उसके बाद मरीज को 8 अप्रैल को वेंटिलेटर पर रखा। जब मरीज की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ तो 14 अप्रैल को अस्पताल के डॉक्टरों ने प्लाज्मा ट्रीटमेंट शुरू किया। इसके बाद मरीज की हालत सुधार होने लगा। 18 अप्रैल को उस मरीज को वेंटिलेटर से हटा दिया गया, अब उसकी हालत सामान्य है। अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि उसके दो कोरोना टेस्ट निगेटिव आए हैं। बता दें कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कोरोना वायरस से गंभीर रूप से बीमार लोगों पर प्लाज्मा तकनीक के ट्रायल को मंजूरी दे दी है। प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना से ठीक हो चुके लोगों के खून से प्लाज्मा लेकर कोरोना मरीजों का इलाज किया जाता है। 

 

प्लाज्मा थेरेपी से ऐसे इलाज
प्लाज्मा थेरेपी में कोरोना वायरस से पूरी तरह ठीक हो चुके लोगों का 800 मिली. खून लिया जाता है और एंटीबॉडीज से युक्त प्लाज्मा अलग कर लिया जाता है। इसके बाद प्लाज्मा को कोरोना वायरस के मरीजों में इंजेक्ट किया जाता है। जब शरीर किसी बैक्टीरिया या रोगाणु के संपर्क में आता है तो प्रतिरक्षा तंत्र अपने आप सक्रिय हो जाता है और एंटीबॉडीज रिलीज होने लगती है। दरअसल कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के प्लाज्मा में ऐसी एंटीबॉडीज होती हैं जो पहले ही कोरोना वायरस से लड़ चुकी होती हैं। स्टडीज से पता चलता है कि किसी प्रभावी दवा या वैक्सीन की गैर-मौजूदगी में प्लाज्मा थेरेपी कोरोना के इलाज में काफी हद तक असरदार साबित हो रही है। चीन, दक्षिण कोरिया, यूएस और यूके भी इसका परीक्षण कर रहे हैं। भारत भी इस तकनीक के ट्रायल पर आगे बढ़ रहा है।

 

पहले क्लीनिकल ट्रायल 
प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल करने से पहले अस्पतालों और संस्थाओं को इंस्टिट्यूशनल एथिक्स कमिटी (आईईसी) के प्रोटोकॉल के तहत क्लीनिकल ट्रायल करना होगा। ट्रायल शुरू करने से पहले ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) की अनुमति लेनी होगी. इसके अलावा, अस्पतालों का क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया में रजिस्टर होना भी जरूरी है। ICMR के मुताबिक फिलहाल क्लीनिकल ट्रायल से बाहर प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। बता दें कि 2003 में सार्स महामारी, एच-1एन-1 इन्फ्लुएंजा और 2012 में मार्स की महामारी के दौरान भी प्लाज्मा थेरेपी पर स्टडीज की गई थी।

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