दर-दर भटकने को मजबूर दिव्यांंग बच्ची

Edited By Anil dev,Updated: 25 Oct, 2018 01:29 PM

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दिल्ली सरकार के अधीन भगवान महावीर अस्पताल में एक बच्ची का महज इसलिए दिव्यांगता सर्टिफिकेट नहीं बनाया जाता है, क्योंकि उसके पिता का आधार कार्ड दिल्ली पते का नहीं है। हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि बच्ची का खुद का आधार कार्ड दिल्ली पते का है,...

वेस्ट दिल्ली(अनुराग जैन): दिल्ली सरकार के अधीन भगवान महावीर अस्पताल में एक बच्ची का महज इसलिए दिव्यांगता सर्टिफिकेट नहीं बनाया जाता है, क्योंकि उसके पिता का आधार कार्ड दिल्ली पते का नहीं है। हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि बच्ची का खुद का आधार कार्ड दिल्ली पते का है, लेकिन अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पिता के दिल्ली पते के आधार कार्ड पर ही सर्टिफिकेट बन पाएगा। जबकि ऐसा कोई नियम नहीं है। नियमों के खिलाफ बताते हुए हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने इस मामले में दिल्ली सरकार और अस्पताल प्रशासन को नोटिस जारी कर दिया है। 

दिल्ली में कई सालों से रहते हैं माता-पिता
जानकारी के मुताबिक, आरती अपने माता-पिता के साथ कई सालों से रामपुरा दिल्ली में रहती है। वह त्री नगर के को-एड सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छात्रा है। बच्ची ने बताया कि उन्हें एक आंख से दिखाई नहीं देता है। बच्ची ने बीमारी का हवाला देते हुए भगवान महावीर अस्पताल से दिव्यांगता सर्टिफिकेट बनाने की गुहार लगाई, लेकिन अस्पताल स्टाफ ने दिल्ली का आधार न होने की बात कहकर बच्ची का सर्टिफिकेट बनाने से साफ इंकार कर दिया। बच्ची का सर्टिफिकेट नहीं होने से वह सरकारी लाभ से वंचित है। वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने बताया कि मामला संज्ञान में आने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपराज्यपाल, राष्ट्रपति को ई-मेल के जरिए शिकायत भेजी गई है। साथ ही लीगल नोटिस भी जारी किया गया है। उधर, मामले में अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अल्का अग्रवाल ने मैसेज और कॉल का जवाब नहीं दिया।

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