Edited By vasudha,Updated: 13 Sep, 2019 11:03 AM
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वीरवार को पर्यावरण विशेषज्ञों से मुलाकात कर राजधानी में सर्दियों में होने वाले भारी प्रदूषण से बचाव संबंधी उपायों पर चर्चा की और इस प्रदूषण से बचाव के लिए एक्शन प्लान बनाने का निर्णय लिया है...
नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स) : मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने वीरवार को पर्यावरण विशेषज्ञों से मुलाकात कर राजधानी में सर्दियों में होने वाले भारी प्रदूषण से बचाव संबंधी उपायों पर चर्चा की और इस प्रदूषण से बचाव के लिए एक्शन प्लान बनाने का निर्णय लिया है। विशेषज्ञों ने भारी प्रदूषण से बचाव के लिए आड-इवन लागू करने और प्रत्येक व्यक्ति को मास्क लगाने का सुझाव दिया है। इससे भारी प्रदूूषण से तुरंत बचाव संभव हो सकेगा। इसमें प्रदूषण से बचाव के लिए शार्ट टर्म और लांग टर्म दोनों तरह की योजना बनाने पर चर्चा हुई।
शिकागो यूनिवर्सिटी की एनर्जी पालिसी इंस्टीटय़ूट (एपिक) के डॉ. केन ली ने बैठक में दिल्ली सरकार द्वारा वर्ष 2016 में आड-इवन पालिसी लागू करने पर करीब 14 से 16 प्रतिशत तक वायु प्रदूषण में कमी का हवाला देते हुए कहा कि भारी प्रदूषण से तुरंत मुक्ति पाने का यह सबसे कारगर उपाय है। क्योंकि वाहनों के जरिए होने वाला प्रदूषण सबसे हानिकारक है। ऐसे में राजधानी में आड-इवन लागू करना उपयोगी है। एपिक की ओर से जानकारी दी गई कि वर्ष 2018 में राजधानी की झुग्गियों मे बड़ी संख्या में मास्क का मुफ्त वितरण किया गया। करीब 3500 लोगों को मुफ्त मास्क दिया गया। मास्क के फ्री वितरण से लोगों को भारी राहत मिली।
एन 90 और एन 95 नामक मास्क से लोगों को जाड़े के प्रदूषण से राहत मिलना संभव है। लेकिन लोगों में पर्याप्त जानकारी के अभाव में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग होना मुश्किल है। वल्र्ड रिसोर्सेस इंस्टीटय़ूट के सीईओ ओ.पी. अग्रवाल ने मुख्यमंत्री को बताया कि राजधानी में भारी संख्या में निजी वाहनों से निकलने वाला धुआं वायु प्रदूषण बढ़ाता है और इससे बचाव के लिए आड-इवन पालिसी बेहद कारगर है। साथ ही,बड़ी संख्या में निजी वाहन के प्रयोग को रोका जाना चाहिए। दिल्ली सरकार को सार्वजनिक परिवहन के प्रयोग को बढ़ावा देना चाहिए। विशेषज्ञों ने राजधानी में ज्यादा संख्या में इलेक्ट्रिक बसों के प्रयोग पर बल दिया,जिससे प्रदूषण में कमी होना संभव है।
प्लास्टिक को कहें NO
- प्लास्टिक के उपयोग से शरीर में तमाम तरह के बढ़ रहे हैं रोग
- खाने के बर्तन से लेकर पीने का पानी रखने तक प्लास्टिक का उपयोग
- कुल मिलाकर लोग प्लास्टिक के परोक्ष दुष्प्रभाव से वाकिफ नहीं हैं
- जलने के बाद इससे हाइड्रोजन क्लोराइड नाइट्रेट गैस निकलती है
- इस गैस से महिलाओं में वक्ष कैंसर और फेफड़े भी प्रभावित होते हैं
- ऑक्सीजन आपूर्ति प्रभावित होने से रक्त संबंधित विकार भी हो सकते हैं रक्त में गड़बड़ी से हड्डियों, तंत्रिका तंत्र और बोन मैरो पर विपरीत प्रभाव
ऐसे बरत सकते हैं सावधानी
- तेल के प्लास्टिक कंटेनर को आग के पास न रखें। केमिकल रिएक्शन होता है
- सिल्वर फॉइल में बहुत गर्म खाना न रखें, न ही उसमें रखकर खाना गर्म करें
- उपयोग करने के बाद प्लास्टिक उत्पाद को जलाएं नहीं, रिसाइकल के लिए दें
- बॉटल, लंच बॉक्स, स्टोरेज कंटेनर का इस्तेमाल कम-से-कम करें
- दो-तीन साल में प्लास्टिक कंटेनर और बॉटल आदि बदल दें
- कांच या स्टील की बोतल का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करें
- पॉलीथीन के बैग में गर्म चाय, सब्जी, या गर्म पानी न रखें