मोटापे के शिकार दिल्ली के 69 % लोगों को है हृदय रोग का खतरा: सर्वे

Edited By Anil dev,Updated: 28 Sep, 2018 03:53 PM

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दिल्ली के 69 फीसदी लोग पेट के मोटापे के शिकार हैं  जिन्हें हृदय रोग का खतरा है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि जीवनशैली की बढ़ती चुनौतियों के साथ, भारतीय कम उम्र में ही हृदय रोग के खतरे के घेरे में आ रहे हंै। ऑफिस...

नई दिल्ली(नवोदय टाइम्स): दिल्ली के 69 फीसदी लोग पेट के मोटापे के शिकार हैं  जिन्हें हृदय रोग का खतरा है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि जीवनशैली की बढ़ती चुनौतियों के साथ, भारतीय कम उम्र में ही हृदय रोग के खतरे के घेरे में आ रहे हैं। ऑफिस के लम्बे कार्यकाल, काम का तनाव, अनियमित भोजन, नींद की कमी और गतिहीन दिनचर्या इसके कुछ प्रमुख कारण है। जिससे जीवनशैली से जुड़े रोगों जैसे ह्रदय रोग, मोटापा और डायबिटीज में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जब बीएमआई सामान्यकृत मोटापे को जांचने का शोध द्वारा सिद्ध उपाय है।

 

फैट (जिसे पेट की चर्बी कहते है) हृदय के खतरे का प्रमुख कारक बन जाता है। जब भी बात पेट के मोटापे की आती है तो जानकारी के आभाव के चलते लोग उसे केवल सुंदरता से जोड़ते हैं बल्कि यह पेट का मोटापा हृदय के लिए अत्यंत हानिकारक है। इस सर्वेक्षण को देश के मुख्य शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, और हैदराबाद के हजारों लोगों पर किया गया है। इस सर्वे से कुछ चौकाने वाले तथ्य सामने आये जो कि हृदय के लिए खतरे पैदा कर रहे थे। 

 

यह है स्थिति...

  •  45 वर्ष से कम उम्र के 10 में 7 दिल्लीवासी के पेट पर चर्बी है। 
  •  66 फीसदी पुरुषों और 71 फीसदी महिलाएं हैं शिकार।
  • जिनका कार्यकाल 8 घंटों से भी ज्यादा लम्बा है। 
  •  66 फीसद मोटापा ग्रस्त लोग जो सुबह अपना नाश्ता नहीं करते।

 

हार्टमैट-3 नया विकल्प
विश्व हार्ट दिवस के उपलक्ष्य में हार्ट रोग की बढ़ती बीमारी की रोकथाम को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन मैक्स अस्पताल में भी किया गया। इस मौके पर हार्ट ट्रांसप्लांट और एलवीएडी प्रोग्राम के डायरेक्टर डॉ. केवल किशन ने कहा कि आज के दौर में नई नई तकनीकी और चिकित्सकों की कुशलता से हार्ट रोग जैसी बीमारी का इलाज अब सरल हुआ है। ज्यादा उम्र में हार्ट ट्रांसप्लांट संभव नहीं है तो हार्टमैट-3 विकल्प है। हार्टमैट -3 का प्रयोग दुनियाभर के 26 हजार से अधिक रोगियों पर किया जा चुका है। उन्होंने इस तकनीकी से अभी तक दर्जनों मरीजों को ठीक किया है जो अब पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं। 
 

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