Edited By Anil dev,Updated: 05 Aug, 2018 03:55 PM
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली में रोजगार की सभी अनुसूचित श्रेणियों में सभी वर्गों के श्रमिकों के न्यूनतम वेतन में संशोधन की दिल्ली सरकार की मार्च, 2017 कीअधिसूचना को रद्द कर दिया है। यह आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के लिए झटका है। न्यायालय ने कहा...
नई दिल्ली:दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली में रोजगार की सभी अनुसूचित श्रेणियों में सभी वर्गों के श्रमिकों के न्यूनतम वेतन में संशोधन की दिल्ली सरकार की मार्च, 2017 कीअधिसूचना को रद्द कर दिया है। यह आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के लिए झटका है।हाई कोर्ट ने कहा कि संविधान के तहत दिल्ली सरकार को इसका अधिकार नहीं है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने दिल्ली सरकार की न्यूनतम वेतन पर सलाहकार समिति बनाने की सरकार की अधिसूचना को भी रद्द कर दिया है।
अदालत ने कहा कि दोनों ही फैसले प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्तों तथा बिना उचित आधार लिए गए थे लिहाजा यह दोनों ही फैसले अवैध हैं। अधिसूचना के अनुसार अकुशल, अद्र्धकुशल और कुल श्रमिकों के लिए न्यूनतम वेतन क्रमश: 13,500 रुपए, 14,698 रुपए और 16,182 रुपए तय किया गया था।
हाई कोर्ट का यह फैसला विभिन्न औद्योगिक इकाइयों तथा कंपनियों की ओर से दायर याचिकाओं पर आया है, जो श्रमिकों को न्यूनतम वेतन पर काम देती हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि दिल्ली सरकार ने यह फैसला लेने से पहले उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया।