Edited By Seema Sharma,Updated: 10 Apr, 2018 09:12 AM
सिरदर्द, थकान और सांस लेने में तकलीफ की परेशानी झेल रहे लोग सतर्क हो जाएं। इसका कारण ओजोन पॉल्यूशन का बढऩा भी हो सकता है। हैरानी की बात तो यह है कि पिछले 5 साल में दिल्ली में पहली बार अप्रैल में ओजोन पॉल्यूशन का स्तर काफी ज्यादा हो गया है। ओजोन का...
नई दिल्ली : सिरदर्द, थकान और सांस लेने में तकलीफ की परेशानी झेल रहे लोग सतर्क हो जाएं। इसका कारण ओजोन पॉल्यूशन का बढऩा भी हो सकता है। हैरानी की बात तो यह है कि पिछले 5 साल में दिल्ली में पहली बार अप्रैल में ओजोन पॉल्यूशन का स्तर काफी ज्यादा हो गया है। ओजोन का सीधा असर व्यक्ति के फेफड़ों पर पड़ता है इसलिए इसे बेहद खतरनाक माना जाता है। अगर लोग सोच रहे हैं कि पीएम 2.5 और पीएम 10 का स्तर काबू में है और दिल्ली में खुलकर सांस ली जा सकती है, तो यह गलतफहमी छोड़ दें। देश की राजधानी इस समय ओजोन पॉल्यूशन झेल रही है। वह भी पांच साल में सबसे ज्यादा है।
आमतौर पर दिल्ली में ओजोन पॉल्यूशन मई-जून में होता है लेकिन इस बार यह अप्रैल में ही बढ़ गया है। अगर आपको सिरदर्द, सांस लेने में परेशानी, थकावट महसूस हो रही है तो इसकी एक वजह ओजोन पॉल्यूशन भी हो सकता है। सफर के अनुसार पिछले 5 साल में ओजोन का स्तर इतना अधिक दिल्ली में पहली बार हुआ है। सीपीसीबी के अनुसार ओजोन पॉल्यूशन की एक वजह दिल्ली में बढ़ रही गाड़ियों की संख्या और इंडस्ट्री भी है। वहीं कम बारिश भी इसकी एक वजह है। ओजोन के बढ़ने से हवा में 60 पर्सेंट तक पॉल्यूशन बढ़ता है। राजधानी के ज्यादातर इलाकों में ओजोन पॉल्यूशन तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि तय मानकों से फिलहाल यह नीचे है लेकिन वैज्ञानिक चिंता में हैं। उनका कहना है कि अगर उपाय नहीं किए गए तो दिल्ली को अगले 2 से 3 साल में गर्मियों में इससे काफी नुकसान होगा।
डीपीसीसी के अनुसार नजफगढ़ में ओजोन पॉल्यूशन तय मानकों से अधिक है। वहां इसकी मात्रा 188.4 एमजीसीएम (माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर) है। कर्णी सिंह स्टेडियम, अशोक विहार, सोनिया विहार में भी ओजोन पॉल्यूशन खतरनाक है। ओजोन की तय मात्रा 180 एमजीसीएम है। इससे ज्यादा होने पर नुकसान होता है। सिर्फ जहांगीरपुरी ऐसा इलाका है जहां ओजोन का स्तर सिर्फ 4.7 एमजीसीएम है। बाकी सभी जगहों पर यह 40 एमजीसीएम से ज्यादा है।