Delhi election: इन कारणों से हार गई दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी BJP...और दिल्ली की वॉल बने 'केजरी'

Edited By Seema Sharma,Updated: 12 Feb, 2020 01:32 PM

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दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) का झाड़ू ने जहां भाजपा के सपनों पर फिरा वहीं कांग्रेस की तो इससे भी ज्यादा दुर्गति हुई। कांग्रेस दूसरी बार दिल्ली में अपना खाता नहीं खोल पाई। आप ने मंगलवार को आए नतीजों में दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों...

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (AAP) का झाड़ू ने जहां भाजपा के सपनों पर फिरा वहीं कांग्रेस की तो इससे भी ज्यादा दुर्गति हुई। कांग्रेस दूसरी बार दिल्ली में अपना खाता नहीं खोल पाई। आप ने मंगलवार को आए नतीजों में दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 62 सीटों पर जीत हासिल कीं और भाजपा को 8 सीटों पर ही सब्र करना पड़ा। नतीजों के बाद अब analysis हो रहा है कि आखिर क्या कारण था कि भाजपा ने चुनाव प्रचार में इतनी ताकत झोंक दी लेकिन परिणाम उतने अच्छे हासिल न हो सके।

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यहां तक की पीएम मोदी का चेहरा भी भाजपा को जीत नहीं दिला सका। दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी एग्जिट पोल के समय भी काफी आश्वस्त दिखे थे। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि सभी सर्वे फेल होंगे, उनका ट्वीट संभाल कर रख लीजिएगा, हालांरि ऐसा हो न सका। तिवारी ने दिल्ली हार की जिम्मेदारी ली और कहा कि हमसे कहां चूक हो गई इस पर विचार करेंगे। 

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तो आइए एक नजर डालते हैं कि आखिर क्या कारण थे कि भाजपा कड़ी मेहनत के बाद भी हार गई और एक दीवार (wall) बनकर केजरीवाल आप को जबर्दस्त जीत दिला गए।

भाजपा की हार के कारण आप’ की जीत के कारण
अनुच्छेद 370, ट्रिपल तलाक और सी.ए.ए. जैसे बड़े मुद्दे उठाए हर महीने 20 हजार लीटर फ्री पानी और 200 यूनिट फ्री बिजली
शाहीन बाग, जे.एन.यू., जामिया जैसे मुद्दे चुनाव के बीच ही उठे स्कूल और स्वास्थ्य सुविधाओं से जनता के दिल में जगह बनाई
‘मेरे पास सिर्फ  मोदी है’ का नारा देना गलत साबित हुआ महिलाओं को भी ‘आप’ ने अपना वोट बैंक बनाया
सकारात्मक चुनाव प्रचार नहीं था दिल्ली में केजरीवाल और केंद्र में मोदी का चला नारा
कमजोर होती अर्थव्यवस्था और नहीं पूरे होते सपने केजरीवाल की टक्कर का कोई स्थानीय नेता नहीं था
केजरीवाल के मुकाबले भाजपा के पास कोई चेहरा नहीं था मुसलमानों का झुकाव भी आम आदमी पार्टी की तरफ था
अमित शाह की योजना और स्थानीय मुद्दों की अनदेखी हुई भाजपा की सेना बनाम अकेले खड़े केजरीवाल
चुनाव के बीच कानून व्यवस्था का बिगडऩा भाजपा नेताओं के विवादित बयानों ने जीत की राह आसान की
‘आप’ की फ्री योजनाओं के मुकाबले कोई योजना का न होना चुनाव प्रचार दौरान ‘आप’ ने हमेशा स्थानीय मुद्दों पर ही बात की
ज्यादा आक्रामक चुनाव प्रचार, कमजोर बूथ मैनेजमैंट स्कूलों की फीस न बढऩे देना

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