दिल्ली दंगे: पिंजरा तोड़ की सदस्य को जमानत, अदालत ने कहा- पुलिस भड़काऊ भाषण दिखाने में नाकाम रही पुलिस

Edited By Anil dev,Updated: 01 Sep, 2020 03:19 PM

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दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में पिंजरा तोड़ की एक सदस्य देवांगना कालिता को मंगलवार को जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि पुलिस यह दिखाने में नाकाम रही कि उन्होंने किसी समुदाय विशेष की महिलाओं को...

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में साम्प्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में पिंजरा तोड़ की एक सदस्य देवांगना कालिता को मंगलवार को जमानत दे दी। अदालत ने कहा कि पुलिस यह दिखाने में नाकाम रही कि उन्होंने किसी समुदाय विशेष की महिलाओं को भड़काया या भड़काऊ भाषण दिया । वह शांतिपूर्ण प्रदर्शन करती दिखाई दीं, जो उनका मौलिक अधिकार है। अदालत ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन काफी समय तक चले और प्रिंट तथा इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने इन्हें पूरा कवर किया। इसके अलावा जगह-जगह पुलिस विभाग के कैमरे भी मौजूद थे, लेकिन ऐसा कोई सबूत नहीं मिला, जो यह साबित करे कि कथित अपराध कालिता की वजह से हुआ। अदालत ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत साक्ष्य, जिनमें दर्ज किये गए बयान शामिल हैं, काफी देर से पेश किये गए जबकि गवाह कथित रूप से घटनास्थल पर मौजूद रहे थे। 

न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने 21 पन्नों के फैसले में कहा, याचिकाकर्ता के खिलाफ पहले ही दो जून को आरोप पत्र दायर कर दिया गया है। इसके अलावा मैंने सीलबंद लिफाफे में पेश की गई आंतरिक केस डायरी और पेन ड्राइव को भी देखा और पाया कि वह शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही थीं, जोकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 में मिला उनका मौलिक अधिकार है। ऐसा कोई भी साक्ष्य पेश नहीं किया गया जिससे यह पता चलता हो कि उन्होंने किसी समुदाय विशेष की महिलाओं को भड़काया या कोई ऐसा भड़काऊ भाषण दिया हो, जिससे एक युवा व्यक्ति का बहुमूल्य जीवन खत्म हो गया और उसकी संपत्ति बर्बाद हुई हो।  अदालत ने जेएनयू की छात्रा कालिता को 25,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया। अदालत ने उन्हें गवाहों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने का निर्देश दिया। 

अदालत ने यह भी कहा कि वह अदालत की अनुमति के बगैर देश से बाहर नहीं जायेंगी। हालांकि कालिता को अभी जेल से रिहा नहीं किया जाएगा क्योंकि उन्हें अपने खिलाफ दायर चार में से तीन मामलों में ही जमानत मिली है। यूएपीए मामले में अभी उन्हें जमानत नहीं मिली है। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ फरवरी में हुए प्रदर्शनों के दौरान उत्तर पूर्व दिल्ली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा से जुड़े एक मामले में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने मई में नताशा नरवाल के समूह की कलिता और अन्य सदस्यों को मई में गिरफ्तार किया था। उन पर दंगा करने, गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने और हत्या की कोशिश करने के आरापों में भादंवि की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। कलिता पर दिसम्बर में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान पुरानी दिल्ली के दरियागंज इलाके में हुई हिंसा और उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे सहित कुल चार मामले दर्ज हैं। उत्तरपूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इन दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 200 लोग घायल हो गए थे। 

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