2005 दिल्ली सीरियल ब्लास्ट केसः मोहम्मद रफिक अौर मोहम्मद हुसैन बरी, एक दोषी करार

Edited By ,Updated: 16 Feb, 2017 07:17 PM

delhi serial blasts 12 years after the decision to come today

दिल्ली में 2005 में हुए धमाकों के मामले में आज पटियाला हाउस कोर्ट फैसला सुना दिया। पटियाला हाउस कोर्ट ने तारिक अहमद डार की अब तक जेल में बिताई गयी सजा को उचित मान कर रिहा करने का आदेश दिया बाकी दोनों आरोपी बरी हो गए हैं।

नई दिल्ली:  दिल्ली में 2005 में हुए धमाकों के मामले में आज पटियाला हाउस कोर्ट फैसला सुना दिया। पटियाला हाउस कोर्ट ने तारिक अहमद डार की अब तक जेल में बिताई गयी सजा को उचित मान कर रिहा करने का आदेश दिया बाकी दोनों आरोपी बरी हो गए हैं। धमाकों के मुख्‍य आरोपियों तारिक अहमद डार, मोहम्मद हुसैन फाजिल और मोहम्मद रफीक शाह पर मिलकर साजिश रचने का आरोप था। माना जाता रहा है कि इस ब्लास्ट का मास्टर माइंड तारिक अहमद डार है, जो लश्कर-ए-तैयबा का ऑपरेटिव है। कोर्ट के इस फैसले के बाद पिछले 10 सालों से जेल में बंद अहमद डार भी रिहा हो जाएगा। क्योंकि वो पहले ही जेल में 10 साल काट चुका है।

लश्कर के आतंकियों ने किया था धमाका
29 अक्तूबर, 2005 में धनतेरस के दिन सरोजनी नगर मार्केट में लश्कर के आतंकियों ने धमाका किया था। 2 धमाके सरोजनी नगर और पहाडग़ंज जैसे मुख्य बाजारों में हुए, जबकि तीसरा धमाका गोविंदपुरी में एक बस में हुआ। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उक्त अपराध के लिए तारीक अहमद, मोहम्मद हुसैन फैजली और मोहम्मद रफीक शाह को गिरफ्तार किया था। वर्ष 2008 में अदालत ने तीनों पर भारत के खिलाफ जंग छेडऩा, हत्या, हत्या के प्रयास और आ‌म्र्स एक्ट के तहत आरोप तय किए थे।

संभव है फांसी की सजा
मामले को पहले ही 10 साल से ऊपर हो चुके हैं। पहले यह फैसला 13 फरवरी को आना था लेकिन अब इसे आज यानी की 16 फरवरी को सुनाया जाएगा। बता दें कि हाल ही में सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद न्यायाधीश रितेश सिंह ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। आरोपी यदि दोषी साबित होते हैं, तो फांसी की सजा तक हो सकती है।

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