Edited By Anil dev,Updated: 05 May, 2018 11:18 AM
राजधनी दिल्ली में एक ऐसा अजीबो गरीब मामला देखने को मिला जहां तुगलक काल का बना एक मकबरा रातों रात मंदिर में बदल गया और किसी को इसकी खबर तक नहीं लगी। गांव के दो वर्गों के बीच तनाव है और दोनों तरफ से अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। एक समुदाय यहां सदियों...
नई दिल्ली: राजधनी दिल्ली में एक ऐसा अजीबो गरीब मामला देखने को मिला जहां तुगलक काल का बना एक मकबरा रातों रात मंदिर में बदल गया और किसी को इसकी खबर तक नहीं लगी। गांव के दो वर्गों के बीच तनाव है और दोनों तरफ से अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। एक समुदाय यहां सदियों पुराना मंदिर होने का दावा कर रहा है तो दूसरा समुदाय यहां मकबरा होने की बात कह रहा है।
1937 में स्थापित की थी मूर्ति
हुमायूंपुर गांव में 15वीं शताब्दी से निवासी होने का दावा करने वाले प्रेम फोगाट के अनुसार उनके पिता ने 1937 में इमारत में मूर्ति स्थापित की थी। उन्होंने दावा किया कि इमारत शिवमंदिर है। हुमायूंपुर आरडब्ल्यूए के प्रधान रण सिंह के मुताबिक उनका परिवार वर्ष 1960 से यहां का निवासी है। उन्होंने जब से होश संभाला तब से यहां मंदिर ही पाया। वास्तव में धरोहर की देखभाल बहुत दिनों से नहीं हो पाई थी, लेकिन जैसे ही इसकी रंगाई कराई गई, विवाद शुरू हो गया। स्थानीय पार्षद राधिका ने इस मामले में खुलकर कुछ नहीं बोला। उधर दिल्ली के पुरातत्व विभाग के अनुसार हूमायूंपुर गांव की इमारत दिल्ली की सांस्कृतिक धरोहरों की लिस्ट में शामिल है। इस मामले में इन्टैक ने निर्माण को 15वीं सदी में तुगलक या लोदी काल का मकबरा बताया है।
सरकार ने दिए जांच के आदेश
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सफदरजंग एनक्लेव के हुमायूंपुर गांव में एक छोटे मकबरे को कथित तौर पर मंदिर में तब्दील करने की घटना की जांच का शुक्रवार को आदेश दिया है। सिसोदिया ने कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग (एसीएल) की सचिव को कल तक रिपोर्ट जमा करने का भी निर्देश दिया। यह मामला खबरों में आने के बाद सिसोदिया का यह आदेश आया है। उपमुख्यमंत्री ने सचिव को दिए अपने आदेश में कहा कि धरोहर संपत्ति को नुकसान पहुंचाना कानून के खिलाफ है और एक गंभीर अपराध है। सचिव (एसीएल) घटना के ब्योरे और उनके द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी देते हुए कल तक एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपे।