Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Mar, 2018 01:23 PM
दिल्ली यूनिवर्सिटी के साउथ कैंपस स्थित राम लाल आनंद कॉलेज में पढऩे वाले 21 वर्षीय छात्र आयुष नौटियाल को अपहरण के बाद मौत के घाट उतार दिया गया। फिर पुलिस और परिजनों को भटकाने के लिए करीब छह दिनों तक अपहरण का नाटक करते रहे। बाद में उसके शव को फेंक...
नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी के साउथ कैंपस स्थित राम लाल आनंद कॉलेज में पढऩे वाले 21 वर्षीय छात्र आयुष नौटियाल को अपहरण के बाद मौत के घाट उतार दिया गया। फिर पुलिस और परिजनों को भटकाने के लिए करीब छह दिनों तक अपहरण का नाटक करते रहे। बाद में उसके शव को फेंक फरार हो गया। पुलिस ने एक सीसीटीवी फुटेज के आधार पर हत्यारे साथी को 26 वर्षीय इस्ताक नामक युवक को गिरफ्तार कर लिया है।
10 दिनों पहले ही हुई थी दोस्ती
मीडिया से बातचीत के दौरान पुलिस ने बताया कि एक द्वारका सेक्टर 14 स्थित होटल से एक सीसीटीवी फुटेज मिला जिसमें मृतक छात्र के साथ आरोपी दिखा। पुलिस ने जब उसकी पहचान शुरू की तो पता चला कि आरोपी दिल्ली के एक फैसन इंस्टीट्यूट में पढाई करता था। वहां से जानकारी ले पुलिस उसे उत्तम नगर इलाके से दबोच लिया। वर्तमान में आरोपी एक एक्सपोर्ट कंपनी के लिए सैंपलिंग का काम करता है। पूछताछ में उसने बताया कि 10 दिनों पहले ही एक डेटिंग एप के माध्यम से उसकी दोस्ती हुई थी। इस दौरान दोनों के बीच तीन बार मुलाकात हुए थे। 22 की शाम को भी दोनों के बीच मुलाकात हुई थी। इसी दौरान उनका किसी बात को लेकर विवाद हो गया। इस विवाद में आरोपी ने हथौड़े से मार उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया। पुलिस का दावा है कि इसके कारण आयुष की कुछ देर बाद ही उसकी मौत भी हो गई थी। पुलिस से बचने और शव को ठिकाने लगाने के लिए और समय मिल जाए इसके लिए उसने अपहरण का नाटक शुरू किया। ताकि पुलिस उसमें उलझ जाए और वह शव को आसानी से ठिकाने लगा गायब हो जाए और उसने वैसा ही किया।
24 मार्च को घर के बगल से की थी बात
इधर पुलिस द्वारा मोबाइल लोकेशन डिटेल निकाले जाने पर पता चला है कि अपहरणकर्ता इस दौरान अपना लोकेशन बदल रहे थे। पर उनका लोकेशन लगातार दक्षिणी और पश्चिमी दिल्ली ही था। कभी वे द्वारका से तो कभी मुनरिका से, तो कभी महावीर एंक्लेव से मैसेज और बात कर रहे थे। यहां तक कि 24 मार्च को जब उन लोगों ने बात कि तो उस समय उनके मोबाइल का लोकेशन आयुष के घर के पास से गुजरने वाली सड़क निकली, जिससे पता चलता है कि उन लोगों द्वारा लगातार परिवार पर नजर रखी जा रही थी।
रिश्तेदारों से उधार लेकर जमा किए थे रुपए
अपहरणकर्ताओं द्वारा 12 लाख लेकर आयुष को छोडऩे के लिए राजी होने के बाद दिनेश अपने रिश्तेदारों और दोस्तों की सहायता से रुपए जमा किये थे। रुपए जमा होने के बाद दिनेश को जब भी अपहरणकर्ता फोन करते वह जल्द से जल्द रुपए लेकर बेटे को सुरक्षित छोड़वाने के लिए उनके द्वारा बताये स्थान पर पहुंच जाते लेकिन अपहरणकर्ता उन्हें घुमाते रहे। दिनेश भी बेटे की सुरक्षित वापसी की आस में उनके कहने पर रुपए लेकर घूमता रहा।