दिल्ली हिंसाः सफूरा जरगर को नहीं मिली जमानत, दिल्ली पुलिस ने गिनाए आरोप

Edited By Yaspal,Updated: 22 Jun, 2020 07:31 PM

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दिल्ली पुलिस ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा सफूरा जरगर की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि उसकी गर्भावस्था से अपराध की गंभीरता कम नहीं हो जाती है। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर फरवरी में उत्तर...

नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट से जामिया मिल्लिया इस्लामिया की छात्रा सफूरा जरगर की जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि उसकी गर्भावस्था से अपराध की गंभीरता कम नहीं हो जाती है। संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर फरवरी में उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा के आरोप में गैर कानूनी गतिविधियां निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत जरगर को गिरफ्तार किया गया है। वह गर्भवती है। दिल्ली पुलिस ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में जरगर की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी महिला के खिलाफ स्पष्ट एवं ठोस मामला है और इस तरह वह गंभीर अपराधों में जमानत की हकदार नहीं है, जिसकी उसने सुनियोजित योजना बनाई और उसे अंजाम दिया। इसने कहा कि मजबूत, ठोस, विश्वसनीय और पर्याप्त सामग्री मौजूद है जो जामिया में एम फिल की छात्रा जरगर के सीधे संलिप्त होने का सबूत है। वह 23 हफ्ते की गर्भवती है।

तिहाड़ में पिछले 10 सालों में 39 महिला कैदियों ने दिया बच्चों को जन्म
पुलिस ने कहा कि वह अलग प्रकोष्ठ में बंद है और किसी दूसरे से उसके कोरोना वायरस से संक्रमित होने की संभावना नहीं है। इसने कहा कि इस तरह के घृणित अपराध में आरोपी गर्भवती कैदी के लिए कोई अलग से नियम नहीं है कि उसे महज गर्भवती होने के आधार पर जमानत दे दी जाए और कहा कि पिछले दस वर्षों में दिल्ली की जेलों में 39 महिला कैदियों ने बच्चों को जन्म दिया। जामिया समन्वय समिति की सदस्य जरगर को दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ ने दस अप्रैल को गिरफ्तार किया। उसने निचली अदालत द्वारा चार जून को जमानत देने से इंकार करने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है।

राधानी समेत देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़काने की आरोपी
विशेष प्रकोष्ठ के डीसीपी के माध्यम से दायर रिपोर्ट में कहा गया है कि गवाह और सह आरोपी ने स्पष्ट रूप से जरगर को बड़े पैमाने पर बाधा डालने और दंगे के गंभीर अपराध में सबसे बड़े षड्यंत्रकारी के तौर पर बताया है। वह न केवल राष्ट्रीय राजधानी बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी दंगे की षड्यंत्रकारी है। इसने कहा, ‘‘वर्तमान मामला समाज और देश के खिलाफ गंभीर अपराध है। जांच बहुत महत्वपूर्ण चरण में है और इसलिए वर्तमान मामले में संवेदनशीलता और व्यापक कुटिलता को देखते हुए यह न्याय एवं जनहित में होगा कि इस समय आरोपी को जमानत नहीं दी जाए।'' रिपोर्ट में कहा गया है कि षड्यंत्र के पीछे यह विचार था कि ‘किसी भी हद तक जाएं' भले ही यह पुलिस के साथ छोटा संघर्ष हो या दो समुदायों के बीच दंगा भड़काना हो या ‘‘देश की वर्तमान सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह को बढ़ावा देकर अलगाववादी आंदोलन को चलाने'' की वकालत करना हो।

पुलिस ने दावा किया कि यह निर्णय किया गया था कि सरकार को अस्थिर करने के लिए उपयुक्त समय पर ‘‘मुस्लिमों के सरकार विरोधी भावना'' का इस्तेमाल किया जाए। रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के भारत दौरे के समय प्रदर्शन का आयोजन किया गया था ‘‘ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस तरफ खींचकर यह दुष्प्रचार किया जा सके कि वर्तमान सरकार मुस्लिम विरोधी है।'' वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने पुलिस को एक दिन का समय दे दिया, क्योंकि जरगर की वकील ने कहा कि उन्हें इस पर कोई आपत्ति नहीं हैं और मामले को मंगलवार को सूचीबद्ध कर दिया है।

 

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