दिल्ली में होगी कृत्रिम बारिश, मौसम अनुकूल होने का है इंतजार

Edited By shukdev,Updated: 21 Nov, 2018 08:29 PM

delhi will have artificial rain weather is expected to be favorable

आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति का सामना कर रही दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने के लिए इसरो से विमान हासिल करने सहित सभी तैयारियां कर ली हैं, बस अब मौसम के अनुकूल होने की देर है। हालांकि, वैज्ञानिक इस बारे में आश्वस्त...

नई दिल्ली: आईआईटी कानपुर के वैज्ञानिकों ने वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति का सामना कर रही दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने के लिए इसरो से विमान हासिल करने सहित सभी तैयारियां कर ली हैं, बस अब मौसम के अनुकूल होने की देर है। हालांकि, वैज्ञानिक इस बारे में आश्वस्त नहीं हैं कि यह (कृत्रिम बारिश) कब कराई जाएगी क्योंकि वे इसके लिए मौसम की अनुकूल परिस्थितियों का इंतजार कर रहे हैं।

PunjabKesariआईआईटी कानपुर के उप निदेशक मङ्क्षणद्र अग्रवाल ने कहा, ‘हमने सभी तैयारियां कर ली है और इसरो से विमान भी हासिल कर लिया है जिसकी जरूरत कृत्रिम बारिश कराने के लिए पड़ेगी। यह तकनीक महाराष्ट्र में और लखनऊ के कुछ हिस्सों में पहले ही परखी जा चुकी है। हालांकि, भारत में यह पहला मौका है जब वायु प्रदूषकों से हुए नुकसान का मुकाबला करने के लिए एक बडे भूभाग पर कृत्रिम बारिश कराई जाएगी।’ उल्लेखनीय है कि चीन कई बरसों से कृत्रिम बारिश कराने के लिए ‘क्लाउड सीङ्क्षडग’ का उपयोग कर रहा है।

PunjabKesariअमरीका, इस्राइल, दक्षिण अफ्रीका और जर्मनी ने भी इस प्रौद्योगिकी का उपयोग किया है। कृत्रिम बारिश (क्लाउड सीलिंग) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें सिल्वर आयोडाइड, शुष्क बर्फ और यहां तक कि खाने का नमक सहित विभिन्न तरह के रसायनिक पदार्थों को पहले से मौजूद बादलों में डाला जाता है, ताकि उन्हें मोटा और भारी किया जा सके और उनके बरसने की संभावना बढ़ जाए। इस प्रक्रिया में वायु में रसायनों (ज्यादातर नमक) को बिखरा कर बारिश की मात्रा और प्रकार में बदलाव करना भी शामिल है। रसायनों को बादलों में विमान से बिखराया जाता है।

PunjabKesariगौरतलब है कि दिल्ली में वायु की गुणवत्ता पिछले तीन हफ्तों में सतर्क करने वाले स्तर पर पहुंच गई है। बुधवार को कुछ इलाकों में यह ‘गंभीर’ श्रेणी की दर्ज की गई। आईआईटी कानपुर ‘साल्ट मिक्स’ और अन्य जरूरी उपकरण मुहैया कर कृत्रिम बारिश कराने के लिए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की मदद कर रहा है। वहीं, आईआईटी दिल्ली के छात्रों का एक समूह भी कृत्रिम बारिश के लिए मौसम की परिस्थितियों के अनुकूल होने पर नजरें जमा कर मौसम वैज्ञानिकों की मदद कर रहा है।

PunjabKesariअग्रवाल ने कहा कि मॉनसून से पहले और इसके दौरान कृत्रिम बारिश कराना आसान होता है लेकिन सर्दियों के मौसम में यह आसान कोशिश नहीं होती क्योंकि इस दौरान बादलों में नमी की मात्रा ज्यादा नहीं होती। हालांकि, हम इसके प्रभाव का मूल्यांकन करेंगे और इस बारे में एक फैसला करेंगे कि दूसरा प्रयास किया जाना चाहिए या नहीं। गौरतलब है कि वर्ष 2016 में सरकार ने कृत्रिम बारिश के लिए क्लाउड सीलिंग की संभावना तलाशी थी लेकिन इस योजना पर कभी काम नहीं किया गया है। 

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