जम्मू-कश्मीर में परिसीमन के लिए परिसीमन आयोग ने आंकड़े आदि जुटाना किए शुरू

Edited By Monika Jamwal,Updated: 21 Oct, 2020 05:11 PM

delimitation commission started collecting data etc

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन से संबंधित परिसीमन आयोग में आंक ड़े एवं अन्य आवश्यक सूचनाएं जुटाना शुरू कर दी हैं।

 जम्मू (विशेष): जम्मू-कश्मीर में विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन से संबंधित परिसीमन आयोग में आंक ड़े एवं अन्य आवश्यक सूचनाएं जुटाना शुरू कर दी हैं। समाचारों के अनुसार परिसीमन का काम आरंभ करने से पूर्व आयोग ने आंकड़े तथा भूगौलिक स्थिति का गंभीरता से जायजा लेना शुरू कर दिया है। यद्यपि यह आयोग अभी तक यहां नहीं पहुंचा है। आयोग के प्रमुख जस्टिस आर.टी. देसाई के अतिरिक्त भारतीय चुनाव आयोग के सुशील के अतिरिक्त जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी हव्देश कुमार इसके सदस्य हैं।


परिसीमन आयोग के साथ जम्मू-कश्मीर के पांचों लोकसभा सदस्यों को सहायक के रूप में शामिल किया गया है, जिनमें डा. फारूक अब्दुल्ला, मोहम्मद अकबर लोन, जस्टिस हसनैन मासूदी के अतिरिक्त केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह एवं भाजपा के जुगल किशोर शर्मा शामिल हैं। डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने इस आयोग के साथ सहयोग करने से इंकार कर दिया है, परंतु यह आयोग राज्य में कब पहुंचेगा यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। अपितु समाचार है कि जम्मू-कश्मीर की नई विधानसभा के 90 सदस्यों में लगभग 8 सीटें अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित की जा सकती हैं। जबकि यह पहले 7 थीं। इसके अतिरिक्त अनुसूचित जनजातियों से संबंध रखने वाले वर्गों अर्थात गुज्जर बकरवालों के अतिरिक्त अन्य को भी विधानसभा में राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने के लिए एक दर्जन के लगभग सीटें आरक्षित की जा सकती हैं। जबकि इससे पूर्व गुज्जर बकरवालों को अनुसूचित जनजातियों की श्रेणी में केंद्रीय स्तर पर शामिल किया गया था, परंतु राज्य विधानसभा में उन्हें राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए कोई सीट आरक्षित नहीं की गई थी। अब पहली बार अनुसूचित जनजातियों से संबंध रखने वालों को यह प्रतिनिधित्व प्राप्त हो पाएगा। 


पर्यवेक्षकों के अनुसार जनसंख्या के अनुपात को ध्यान में रखते हुए अनुसूचित जातियों से संबंध रखने वाले वर्गों के लिए अधिकतर सीटें जम्मू संभाग में ही आरक्षित की जा सकती हैं, परंतु घाटी में भी अभी तक उनके लिए कोई सीट आरक्षित नहीं हो पाई थी। किसी भी विधानसभा में सभी 7 सीटें जम्मू में ही आरक्षित थीं। इन पर्यवेक्षकों का यह भी कहना है कि अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित की जाने वाली अधिकांश सीटें घाटी में भी हो सकती हैं, क्योंकि अनंतनाग एवं घाटी के कुछ अन्य जिलों में इन वर्गों की अच्छी खासी जनसंख्या है। 


अनुसूचित तथा जनजाति से संबंध रखने वाले कुछ नेताओं की मांग है कि जम्मू में लोकसभा की एक सीट बढ़ाकर 3 कर दी जाएं, जिनमें एक इन जनजातियों के लिए आरक्षित की जाए। जम्मू-कश्मीर पहुंचकर परिसीमन आयोग कब अपना काम शुरू करेगा यह अभी तक तय नहीं हो पाया। आशा की जा रही है कि विधानसभा चुनाव करवाने के लिए आयोग अपना काम जल्द शुरू कर देगा और ऐसे भी समाचार हैं कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा इन चुनाव से पूर्व भी बहाल हो सकता है।

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