Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Oct, 2017 07:34 PM
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि लोकतंत्र और वंशवाद साथ -साथ नहीं चल सकते और और लौह पुरुष सरदार पटेल ने अपने आचरण में इसे उतारकर देश के सामने एक उदाहरण पेश किया था।
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को कहा कि लोकतंत्र और वंशवाद साथ -साथ नहीं चल सकते और और लौह पुरुष सरदार पटेल ने अपने आचरण में इसे उतारकर देश के सामने एक उदाहरण पेश किया था।
नायडू ने सरदार पटेल की जयंती पर आयोजित एक स्मारक व्याख्यान में कहा कि उन्होंने अपने बेटे को दिल्ली से बाहर रखा। उन्होंने कभी भी वंशवाद को बढ़ावा नहीं दिया और देश के सामने एक उदाहरण पेश किया। किसी व्यक्ति या पार्टी का नाम लिए बगैर नायडू ने कहा कि आज कुछ लोगों के लिए वंशवाद मुफीद है।
उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में असहमति तो स्वीकार्य लेकिन इसके नाम पर देश का विखंडन स्वीकार्य नहीं है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अहम बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके साथ नियम भी जरूरी है। अलगाववाद की प्रवृत्ति को देश के लिए अहितकर बताते हुए नायडू ने कहा कि देश की एकता और अखंडता को तोडऩे की कोशिश की जा रही है।
देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में सरदार पटेल के योगदान को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह स‘चे राष्ट्रवादी थे लेकिन उनकी अवहेलना की गई। पटेल के योगदान को याद न करने से उनका कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन यह देश के प्रति कृतघ्नता हुई। दिल्ली नागरिक परिषद की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में नायडू ने उपस्थित लोगों को राष्ट्र की एकता ,अखंडता तथा सुरक्षा बनाए रखने में अपना योगदान देने की शपथ भी दिलवाई।