Edited By Seema Sharma,Updated: 22 Sep, 2020 01:24 PM
कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों द्वारा मंगलवार को मौजूदा मानसून सत्र की शेष अवधि में राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किए जाने के बाद निलंबित सांसदों ने संसद भवन परिसर में अपना धरना खत्म कर दिया। वहीं विपक्षी सदस्यों के व्यवहार से...
नेशनल डेस्कः कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों द्वारा मंगलवार को मौजूदा मानसून सत्र की शेष अवधि में राज्यसभा की कार्यवाही का बहिष्कार करने का फैसला किए जाने के बाद निलंबित सांसदों ने संसद भवन परिसर में अपना धरना खत्म कर दिया। वहीं विपक्षी सदस्यों के व्यवहार से दुखी उपसभापति हरिवंश ने एक दिन के उपवास का ऐलान किया है। इसके साथ ही हरिवंश ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उपसभापति हरिवंश की चिट्ठी को अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया और लिखा कि इसमें सच्चाई भी है और संवेदनाएं भी, इसे जरूर पढ़ें।
पीएम मोदी ने ट्वीट किया कि माननीय राष्ट्रपति जी को माननीय हरिवंश जी ने जो पत्र लिखा, उसे मैंने भी पढ़ा। चिट्ठी का एक-एक शब्द लोकतंत्र के प्रति हमारी आस्था को नया विश्वास दिया है। यह खत प्रेरक भी है और प्रशंसनीय भी, इसमें सच्चाई भी है और संवेदनाएं भी। मेरा आग्रह है, सभी देशवासी इसे जरूर पढ़ें। उपसभापति हरिवंश ने चिट्ठी में लिखा कि 20 सितंबर को उच्च सदन की जो तस्वीर थी, उससे सदन, आसन की मर्यादा को अकल्पनीय क्षति पहुंची है। लोकतंत्र के नाम पर हिंसक व्यवहार हुआ, आसन पर बैठे व्यक्ति को डराने की कोशिश हुई, नियम पुस्तिका फाड़ी गई।
उपसभापति ने खत में लिखा कि मैं दो दिन से गहरी आत्मपीड़ा, आत्मतनाव और मानसिक वेदना में हूं...जिससे दो दिन पूरी रात सो नहीं पाया। उन्होंने लिखा कि मुझे लगता है कि मेरे साथ अपमानजनक व्यवहार हुआ, उसके लिए मुझे एक दिन का उपवास रखना चाहिए, जिससे शायद सदस्यों के अंदर आत्मशुद्धि का भाव जागृत हो।
बता दें कि विपक्षी दलों ने रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे के चलते सोमवार को आठ विपक्षी सदस्यों को निलंबित किए जाने को लेकर सरकार पर निशाना साधा था तथा इस कदम के विरोध में वे संसद भवन परिसर में ‘अनिश्चितकालीन' धरने पर बैठ गए थे। निलंबित किए गए आठ सांसदों में कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के सदस्य शामिल हैं। उच्च सदन में कृषि संबंधी विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान ‘अमर्यादित व्यवहार' के कारण इन सदस्यों को मानसून सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया है।