अमेरिकी दबाव के बावजूद कारगिल युद्ध में इजरायल ने दिया भारत का साथ

Edited By Ravi Pratap Singh,Updated: 26 Jul, 2019 01:24 PM

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कारगिल में घुसपैठ पाकिस्तान की तरफ से भारत की पीठ में घोपा एक और चाकू था। लेकिन इस युद्ध ने भारत की रक्षा तैयारियों की पोल भी खोल दी थी।

नई दिल्लीः कारगिल में घुसपैठ पाकिस्तान की तरफ से भारत की पीठ में घोपा एक और चाकू था। लेकिन इस युद्ध ने भारत की रक्षा तैयारियों की पोल भी खोल दी थी। इसके साथ ही भारत के दोस्तों और दुश्मनों की सूची को भी साफ कर दिया था। कारगिल युद्ध के दौरान एक सच्चे दोस्त के रूप में इजरायल ऊभर के सामने आया। इजरायल ने अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत का कारगिल युद्ध में साथ दिया था।

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अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार प्रोफेसर निकोलस ब्लेरल ने अपनी किताब ‘द इवैल्यूएशन ऑफ इंडियाज इजरायल पॉलिसी’ में लिखा  कि इजरायल उन चुनिंदा देशों में से एक था जिन्होंने भारत को सीधे तौर पर मोर्टार, गोलाबारुद और अन्य हथियारों की सप्लाई की थी। भारतीय लड़ाकू विमानों और निगरानी ड्रोन के लिए इजरायल ने ही लेजर गाइडेड मिसाइलें दी थीं।

कारगिल युद्ध में भारतीय वायु सेना को अपने मिशन को पूरा करने के लिए विभिन्न तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। साथ ही वायु सेना को ये सख्त हिदायत थी कि किसी भी स्थिति में पाक सीमा में दाखिल नहीं होना है। ऐसे में लेजर गाइडेड मिसाइलों के ना होने के चलते जमीन पर मौजूद भारतीय थल सेना को सपोर्ट देना मुश्किल था और ऊंची पहाड़ियों पर छिपे हुए पाकिस्तानी घुसपैठियों के बंकर भारतीय फौज के लिए परेशानी बने हुए थे। ऐसे में इजरायल की लेजर गाइडेड मिसाइलों ने वायु सेना का काम आसान कर दिया। वायु सेना के मिराज 2000एच लड़ाकू विमानों को लेजर गाइडेड मिसाइलों से लैस किया गया। इन्होंने पाकिस्तानी घुसपैठियों पर इतनी सटीकता से वार किया कि उनके छक्के छुड़ा दिए।

हथियार देने में अमेरिका ने लगाया था अड़ंगा

कारगिल युद्ध के दौरान अमेरिका ने इजरायल पर भारी दबाव बनाया कि वह भारत को हथियार देने में देरी करे। लेकिन इजरायल ने इसकी परवाह ना करते हुए तेजी से भारत को हथियार मुहैया कराए। हालांकि हथियारों का आर्डर घुसपैठ होने से पहले ही दे दिया गया था।

कुटनीतिक रिश्ते ना होने पर भी 1971 के युद्ध में की थी मदद

इजरायल का गठन 1948 में हुआ था। उस समय भारत ने इजरायल के गठन के खिलाफ वोटिंग की थी। इसके बावजूद 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय इजरायल ने भारत का साथ दिया था। युद्ध में भारत को हथियारों की तत्काल जरूरत थी। उसी दौरान इजरायल भी हथियारों की कमी से जूझ रहा था। फिर भी इजरायल की तत्कालीन प्रधानमंत्री गोल्डा मीर ने भारत को हथियार देने का निर्णय लिया और ईरान जा रहे हथियारों के शिपमेंट को भारत की तरफ मोड़ने का आदेश दे दिया। उन्होंने तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को एक पत्र भी लिखा। इसमें उन्होंने हथियारों के स्थान पर भारत के साथ कूटनीतिक रिश्ते कायम करने की इच्छा जताई। 1971 युद्ध के समय इजरायल के साथ भारत के कुटनीतिक रिश्ते भी नहीं थे।

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कारगिल युद्ध के बाद भारत ने अपनी रक्षा तैयारियों की समीक्षा की और सेना के आधुनिकरण पर बल देना शुरू किया। साथ ही भारत ने इजरायल के साथ मजबूत रिश्ते बनाने की पहल की। इसी कड़ी में वर्ष 2000 में तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह, गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी के साथ इजरायल की यात्रा पर गए।  

मोदी बने इजरायल जाने वाले पहले भारतीय पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा पिछले 70 सालों में किसी भी भारतीय पीएम ने इजरायल की यात्रा नहीं की थी। पीएम मोदी जुलाई, 2017 में इजरायल की धरती पर कदम रखने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने। इससे दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ पिंघलनी शुरू हुई और सामरिक रिश्तों में भी मजबूती आई।

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