ऑफ द रिकॉर्डः प्रधानमंत्री ‘एयर इंडिया’ से छुटकारा पाने के लिए दृढ़ संकल्प, गडकरी बाहर हुए

Edited By Pardeep,Updated: 04 Aug, 2019 05:36 AM

determined to get rid of prime minister air india gadkari goes out

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वित्तीय वर्ष में किसी भी कीमत पर भारी नुक्सान उठा रही ‘एयर इंडिया’ से छुटकारा पाने के लिए दृढ़ संकल्प हैं। लोकसभा में 303 सांसदों का भारी बहुमत प्राप्त करने के बाद उन्हें एयर इंडिया के कर्मचारियों, पायलटों और इंजीनियरों...

नेशनल डेस्कः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वित्तीय वर्ष में किसी भी कीमत पर भारी नुक्सान उठा रही ‘एयर इंडिया’ से छुटकारा पाने के लिए दृढ़ संकल्प हैं। लोकसभा में 303 सांसदों का भारी बहुमत प्राप्त करने के बाद उन्हें एयर इंडिया के कर्मचारियों, पायलटों और इंजीनियरों की उन 10 यूनियनों के प्रोटैस्ट की कोई परवाह नहीं जो भाजपा और राजनीतिक दलों के सभी प्रमुख नेताओं के निवास पर जाते रहते हैं। सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अपनी मजबूती के लिए इन कर्मचारी यूनियनों को अक्सर अपना साथ दिया करते थे। 
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वह उस मंत्री समूह के सदस्य रहे जिसे मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान गठित किया था लेकिन मोदी ने अब एक नया अभियान शुरू किया और अपने चहेते अमित शाह को एक उच्च शक्तिशाली मंत्री समिति ‘एयर इंडिया स्पैसिफिक आल्टर्नेटिव मैकानिज्म’ (ए.आई.एस.ए.एम.) का चेयरमैन नियुक्त किया है जो रुग्ण राष्ट्रीय कैरियर से भी विनिवेश करेगी। अरुण जेतली की जगह अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसकी सदस्या हैं। इस समिति में अन्य सदस्यों में नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी और वाणिज्य व रेल मंत्री पीयूष गोयल शामिल हैं। 
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मोदी सरकार एयर इंडिया से छुटकारा पाने के लिए इतनी जल्दी में है कि अब वह इसके 100 प्रतिशत शेयर भी बेचने को तैयार है। 95 प्रतिशत शेयर नए खरीदार को दिए जाएंगे बाकी के 5 प्रतिशत शेयर कर्मचारियों को दिए जाएंगे। नया खरीदार एयर इंडिया को, अपने मनपसंद व्यक्ति या संस्था को इन्हें बेच सकता है। वह इसे किसी भी अन्य विमान कंपनी या अपनी पसंद की एयरलाइंस में इसका विलय कर सकता है। नया खरीदार इसे ‘रिवर्स मर्जर’ भी कर सकता है और एयर इंडिया नए खरीदार द्वारा ब्रांड के रूप में नहीं रख सकता।
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अगर खबरों पर विश्वास किया जाए तो एयर इंडिया के चेयरमैन अश्विनी लौहानी, जोकि पी.एम.ओ. के चहेते हैं, को बताया गया है कि एयर इंडिया का फरवरी 2020 तक भी विनिवेश हो जाना चाहिए। एयर इंडिया के  विनिवेश की प्रक्रिया नई शर्तों के साथ अक्तूबर में शुरू की जाएगी। सरकार ने यह भी कहा कि खरीदार को कंपनी ऋणमुक्त मिलेगी क्योंकि इसके सभी ऋण एक नई स्पैशल पर्पस व्हीकल (एस.पी.वी.) को स्थानांतरित किए जाएंगे। विनिवेश की प्रक्रिया में एस.पी.वी. के ऋण का भुगतान किया जाएगा। इन सब बातों के बावजूद रुग्ण एयर इंडिया के लिए कोई खरीदार नहीं मिल रहा।

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