तंगी के कारण जर्जर मकान में रह रहे थे कई परिवार, चीखों से दहला सावन पार्क

Edited By Anil dev,Updated: 27 Sep, 2018 10:42 AM

dharmendra sachin sawan park

भारत नगर के सावन पार्क में चार मंजिला पुरानी और खतरनाक इमारत में लोग अपनी मजबूरी के कारण रह रहे थे। उनको पता था कि इमारत कभी न कभी गिर जाएगी। जिसमें वो सभी दबकर मर जाएंगे। लेकिन आर्थिक तंगी और मकान मालिक के लालच की वजह से वो अपने किराये के.

नई दिल्ली(महेश चौहान): भारत नगर के सावन पार्क में चार मंजिला पुरानी और खतरनाक इमारत में लोग अपनी मजबूरी के कारण रह रहे थे। उनको पता था कि इमारत कभी न कभी गिर जाएगी। जिसमें वो सभी दबकर मर जाएंगे। लेकिन आर्थिक तंगी और मकान मालिक के लालच की वजह से वो अपने किराये के आशियाने को छोड़कर नहीं जा पा रहे थे। लेकिन उनको जो डर था वो बुधवार सुबह हो गया। इमारत अचानक ढह गई। जिसमें रहने वाले 25 सदस्यों के चार परिवार दब गए। पुलिस ने मकान मालिक धर्मेन्द्र उसके पार्टनर सचिन और उसके पिता के खिलाफ गैर इरादन हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। जिनकी गिरफ्तारी जल्द होगी। इमारत को लेकर लोगों में काफी रोष भी था। उनका कहना था कि इमारत जब खतरनाक थी तो निगम पुलिस की मदद से मकान मालिक पर दबाव डालकर किरायेदारों को कहीं भी शिफ्ट कर सकते थे। हादसे में उमेश के परिवार के तीन जबकि बिमलेश के दो बच्चों की मौत हुई है। 

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11 युवकों ने बचाई दर्जन भर जानें
 ए ब्लॉक में रहने वाले कमल, राकेश,सोनू,श्रीराम,दिनेश,योगेश,राहुल,पूरन,जीतू और रविन्द्र अपने अपने परिवार के साथ रहकर प्राईवेट नौकरी करते हैं। जीतूू ने बताया कि वह घर में था। अचानक तेज आवाज आई। लगा भूकंप सा आ गया है। मकान तक हिल गया था। बाहर आकर देखा तो धूल का गुब्बारा सा था। लोग चिल्ला रहे थे। धूल जब हटी तो उसके सामने बराबर की चार मंजिला इमारत ढह गई थी। उन्होंने अपने साथियों के साथ मौके पर पहुंचकर तुरंत मलबे से लोगों को बाहर निकालना शुरू किया। 

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बल्लियों को लगाकर बचाई गई जानें
सोनू ने बताया कि सभी दोस्त जब लोगों को बाहर निकाल रहे थे। दीवारें उनपर गिरने वाली थी। सूझबूझ से पास के घर में पड़ी लकडिय़ों की बल्लियों को मकानों की दिवारों पर लगाया गया। जिससे जिन लोगों को बाहर निकाला गया। वो मलबे में दबने से बच गए थे। इस बीच कुछ दोस्तों को मामूली चोटें भी लगी थी। प्रशासन की टीमें तो करीब एक घंटा बाद मौके पर पहुंची थी। अगर उनका इंतजार किया जाता तो शायद मरने वालों की संख्या काफी ज्यादा होती। 

ऐसे रहते थे परिवार
ग्राउंड फ्लोर पर संजीव कुमार दोने और पत्तल की दुकान चलाता था। पहली मंजिल किसी विनोद नामक व्यक्ति की है, जो फिलहाल खाली थी। इनमें दूसरी मंजिल पर उमेश, तीसरी मंजिल पर राजबहादुर और विमलेश का परिवार जबकि चौथी मंजिल पर नरोत्तम परिवार के साथ रहते हैं। ऊपर की तीनों मंजिलों पर कुल 23 लोग रह रहे थे। हादसे के समय बच्चों समेत दर्जनभर लोग बिल्डिंग में मौजूद थे। राजबहादुर के यहां दो रिश्तेदार परिवार से मिलने आए हुए थे।  

मकान मालिक ने दे रखा था झांसा
मरने वाले दो भाई रजनीश और सुमनेश के पिता बिमलेश ने बताया कि वह मकान मालिक धर्मेन्द्र के पास ही राज मिस्त्री का काम करता है। करीब दस दिन पहले ही धर्मेन्द्र को घर खाली करने और इमारत की हालत के बारे में बताया था। वह दस दिन पहले ही घर खाली कर देता। लेकिन धर्मेन्द्र ने उसको कहा था कि वह उसे दूसरी जगह कमरा कुछ दिन के लिए जरूर दिलवा देगा और बिल्डिंग अभी नहीं गिरने वाली डरो नहीं आराम से रहो। उन्होंने बताया कि हादसे के वक्त पत्नी बिमला अपने दो बेटियों को लेकर कोठी में काम करने के लिए कुछ ही देर पहले निकली थी। हादसे से करीब एक मिनट पहले ही वह बिल्डिंग से बाहर निकला था। 

आंखों में आंसू और बस यादें थी अपनों की
दीपचंद बंधू अस्पताल परिसर में अपने दोनों बेटा बेटी और पत्नी सीमा को खो चुके उमेश बार बार बेहोश हो रहा था। उसका पूरा परिवार खत्म हो गया था। परिवार में अब उसका छोटा भाई  लक्ष्मण और छोटा बेटा बचा था। सीमा और लक्ष्मण भी हादसे की चपेट में आए। जिनको पंत अस्पताल में शिफ्ट किया गया था। जहां पर सीमा को डॉक्टरों ने शाम के वक्त मृत घोषित कर दिया। उमेश अपने बच्चों की फोटो देखकर बार बार रो रोकर बेहोश होता और फिर गुम हो जाता। उमेश को अपनी बेटी आशी की मौत के बारे में हादसे के कुछ देर बाद ही पता चल गया था। लेकिन सौर्य और पत्नी के बारे में काफी देर बाद बताया था। बिमलेश हर बार धर्मेन्द्र को ही अपने बच्चों की मौत का जिम्मेदार बता रहा था। उसका कहना था कि धर्मेन्द्र ने उसके बच्चों की हत्या की है। बिमलेश का कहना है कि उसने अपनी आंखों के सामने बिल्डिंग को गिरते हुए देखा था। 

कुछ को मौत खींच लाई थी बिल्डिंग में
हादसे में कुछ को मौत बिल्डिंग में खींच लाई थी तो कुछ को बाहर भेज दिया था। इसमें उमेश का भतीजा दीपक उसी के साथ रहता है। लेकिन रात को संत नगर बुराड़ी में रहने वाली उसकी बुआ ने उसे मंगलवार रात को बुला लिया था। रात भी बिल्डिंग के बारे में बुआ से बातचीत हुई थी। वह रात को घर पर आना चाह रहा था लेकिन बुआ ने उसे यह कहकर रोक लिया था। रात को नहीं जाना है। रास्ता भी खराब है। दूसरी तरफ उमेश की ही साली अंजू द्वारका इलाके में रहती है। वह दो दिन पहले ही अपनी बहन से मिलने आई थी। वह दो तीन दिन ओर रहकर अपने घर जाती। लेकिन वह भी हादसे की चपेट में आ गई। शुक्र है कि उसके ज्यादा गंभीर चोट नहीं लगी। डॉक्टरों ने उसकी हालत स्थिर बताई है। राज बहादुर के बच्चों में से दो तो स्कूल जाने की मना कर रहे थे। लेकिन उनको जबर्दस्ती स्कूल उनकी मां छोड़कर आई थी। जिनको मौत ने अपने से दूर कर लिया। हादसे के बाद कोई अपनों के खोने का दुख मना रहा है तो कोई शुक्र ही मना रहा है कि उसकी जान बच गई। 

घरों में रखे थे करीब दो लाख रुपए से ज्यादा के गहने
परिवार वालों ने बताया कि चारों परिवार वालों के पास दो लाख रुपये से ज्यादा के सोने और चांदी के गहने रखे हुए थे। करीब एक लाख रुपये से ज्यादा की नकदी रखी हुई थी। जो काफी मुश्किल से कमाई गई थी। लेकिन हादसे के बाद अब वो मलबे में उस संपत्ति को बचाव दल की सहायता से हांसिल करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर वो नहीं मिलती है तो उनको अपनों का ईलाज कराने में काफी दिक्कतें सामने आएंगी। उनको ईलाज के लिए पैसे देने वाला भी कोई नहीं है।  

दिल्ली में हुए बड़े हादसे 

  • सितम्बर: सदर बाजार में इमारत गिरने से दो लोग घायल
  • जुलाई : लक्ष्मीनगर में तीन मंजिला इमारत गिरने से पांच घायल
  • 15 मार्च : कनॉट प्लेस में एक बुक सेंटर की दीवार गिरी
  • गत वर्ष 14 नवम्बर: आजाद मार्केट के टोकरीवालान में एक पांच मंजिला इमारत गिरने से 46 वर्षीय महिला की मौत हो गई जबकि उसकी बेटी को बचा लिया गया।
  • वर्ष 2016,28 सितम्बर: जीबी रोड पर एक पुरानी इमारत का छज्जा तोडऩे के दौरान एक राहगीर की मौत। 
     

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